बड़वानी (मध्यप्रदेश): मध्यप्रदेश के गृह मंत्री बाला बच्चन ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि सरदार सरोवर बांध के पास बसे मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के कई गांवों में पिछले 20 दिनों से भूगर्भीय हलचल हो रही है, जिससे धमाके के साथ बार-बार भूकंप के हलके झटके आ रहे हैं। सरदार सरोवर बांध के आसपास के विभिन्न गांवों का दौरा कर रहे बच्चन ने ‘भाषा’ को बताया कि सरदार सरोवर बांध में लगभग 134 मीटर पानी भरने से इसके बैक वाटर से मध्यप्रदेश के बडवानी, झाबुआ, धार, अलीराजपर और खरगोन जिलों तक के गांवों में दिक्कत पैदा हो रही है और इसलिए इस बांध के गेट जल्द से जल्द खोल देने चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘अभी मैं बडवानी जिले के भमोरी गांव से बोल रहा हूं। कई गांव जाकर ग्रामीणों की बात सुनी। बात करते-करते जोर से धमाका आया। पूरा सरकारी तंत्र हमारे पास है। सबने उसको रिकार्ड किया है।’’ बच्चन ने आगे कहा, ‘‘नौ अगस्त से बड़वानी जिले के एक दर्जन से अधिक गांवों में भूंकप के झटके आ रहे हैं। दीवारों में दरारें आ रही है, दीवारों के पलास्टर गिर रहे है। कहीं-कहीं पर तो दीवारें धंस गई हैं और एक मंदिर भी धंस गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस बांध में 134 मीटर पानी भरने से काफी हलचल मच गई है और जिले में भूकंप के हलके झटके आ रहे हैं।’’ बच्चन ने कहा कि इस बांध से इलाके में जो समस्याएं आ रही हैं, वह उनकी रिपोर्ट मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को देंगे। उन्होंने कहा कि सरदार सरोबर बांध का गेट खोलकर पानी छोड़ा जाना चाहिये और इसे अधिकतम 138 मीटर तक भरने से बडवानी, झाबुआ, धार, अलीराजपर और खरगोन जिलों में बहुत ज्यादा समस्याएं आ जायेंगी। इसी बीच, बड़वानी कलेक्टर अमित तोमर ने बताया कि रिक्टर स्केल पर 1.7 तीव्रता के भूकंप मापे गये हैं।
भूगर्भीय हलचल और धमाकों की जांच करने भोपाल और जबलपुर से यहां पहुंची टीम का कहना है कि ग्रामीणों से बातचीत कर ली गई है और क्षेत्र में कहीं-ना-कहीं अंदरूनी पत्थरों में क्रेक आ रहे हैं और क्रेक के अंदर संभवतः पानी का रिसाव हो रहा है जिससे उन पत्थरों के बीच की हवा वहां से बाहर निकल रही है। इसके कारण ये भूगर्भीय धमाके और कंपन हो रहे हैं। मालूम हो कि नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने नर्मदा नदी पर गुजरात में निर्मित सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के उचित पुर्नवास और बांध के गेट खोलने की मांग को लेकर बड़वानी जिले के छोटा बड़दा गांव में 25 अगस्त से अनिश्चितकालीन ‘‘सत्याग्रह’’ आंदोलन कर रही हैं।