देश में जारी कोरोना संकट के चलते मार्च से बंद चल रही दिल्ली मेट्रो ने अब आर्थिक बोझ का हवाला देते हुए कर्मचारियों को तगड़ा झटका दिया है। मेट्रो प्रशासन ने कर्मचारियों के भत्तों में 50% की कटौती कर दी है। यह कटौती अगस्त महीने से ही लागू कर दी गई है। दिल्ली मेट्रो ने बताया कि मेट्रो सेवाओं का संचालन बंद होने के चलते पैदा हुई प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। नए आदेश के तहत अब मूल वेतन के 15.75% की दर से भेत्ते देय होंगे।
इसके साथ ही दिल्ली मेट्रो ने हाउस बिल्डिंग एडवांस, बहुउद्देशीय अग्रिम, लैपटॉप अग्रिम, त्योहार अग्रिम आदि पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। नए अग्रिमों पर अगले आदेश तक रोक जारी रहेगी। हांलांकि पहले से स्वीकृत अग्रिमों को जारी रखा जाएगा।
1000 करोड़ रुपये का नुकसान
लॉकडाउन की वजह से दिल्ली मेट्रो को पिछले 4 महीने के दौरान आय में 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को ऑपरेशन बंद रखने की वजह से हर दिन 10 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। जो कि अब तक बढ़कर 1000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। कोरोना वायरस के बढ़ने के साथ ही देश 25 मार्च से लॉकडाउन में है। फिलहाल कारोबारी गतिविधियों में कुछ छूट दी गई हैं, लेकिन मेट्रो की सेवाएं पूरी तरह से बंद हैं।
डीएमआरसी दिल्ली एनसीआर की 8 लाइन पर 300 ट्रेन का परिचालन करता है, सामान्य दिनों में इन रुट्स के जरिए हर दिन करीब 18 लाख यात्री सफर करते थे। हालांकि पिछले 4 महीने से मेट्रो से एक भी यात्री ने सफर नहीं किया है। डीएमआरसी के मुताबिक मेट्रो स्टेशन और मेट्रो परिसर में कई व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और दुकानों को भी किराए पर जगह दी गई है। लॉकडाउन की वजह से इनके कारोबार पर भी बुरा असर देखने को मिल रहा है। ये प्रतिष्ठान भी डीएमआरसी से छूट की मांग कर रहे हैं। मेट्रो के मुताबिक इन सभी को छूट या राहत देने के लिए सरकारी नियमों और गाइडलाइन में विकल्प तलाशे जा रहे हैं।