इंदौर: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमेशचंद्र लाहोटी ने कहा कि शराब पीकर वाहन चलाना कानूनी रूप से हत्या का प्रयास समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के ऊपर उन्हीं धाराओं के तहत आरोप तय होने चाहिए, जिन धाराओं में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज होता है और इसकी सजा भी उसी तरह मिलनी चाहिए। गौरतलब है कि भारत में सड़क दुर्घटना के कई मामलों में शराब पीकर गाड़ी चलाना भी एक प्रमुख कारण होता है।
हड्डी रोग विशेषज्ञों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन ‘आयोकॉन-2017’ का कल यहां औपचारिक उद्घाटन करने के बाद लाहोटी ने कहा, ‘शराब पीकर वाहन चलाना कानूनी रूप से हत्या का प्रयास समझा जाए। शराब पीकर वाहन चलाने वालों के विरूद्ध उन्हीं धाराओं में आरोप तय होना चाहिए, जिन धाराओं में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज होता है और इसकी सजा भी उसी तरह मिलनी चाहिए।’ लाहोटी ने कहा कि ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि दुर्घटना होने के 3 से 5 मिनट में भीतर पुलिस घटनास्थल पर पहुंच जाए। उन्होंने कहा कि शराब की दुकानें और बार उन लोगों को सर्विस नहीं दें, जो गाड़ी चलाकर आए हों,या जाने वाले हों।
उन्होंने दावा किया कि सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली क्षति से देश की GDP को सालाना 3 प्रतिशत तक का नुकसान होता है। लाहोटी ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को लेकर इंडियन आर्थोपेडिक के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजशेखरन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिए है कि वे रोड सेफ्टी पॉलिसी बनाएं। रोड सेफ्टी के लिए फंड अलग से रखें और जिलों में रोड सेफ्टी कमेटी बनाई जाएं। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार हर जिले में एम्बुलेंस सुविधा सहित एक ट्रामा सेंटर भी बनाया जाना चाहिए।