Monday, December 23, 2024
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कोरोना से ज्यादा है ब्लैक फंगस की मृत्यु दर, AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया से जानिए- छूने से फैलता है या नहीं

इंडिया टीवी के मेगा कॉन्क्लेव 'जीतेगा इंडिया, हारेगा कोरोना' में दिल्ली स्थित AIIMS के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस के मामलों पर बात करते हुए इस बीमारी के बारे में जानकारी दी।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : May 23, 2021 22:36 IST
AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया
Image Source : PTI AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया

नई दिल्ली: इंडिया टीवी के मेगा कॉन्क्लेव 'जीतेगा इंडिया, हारेगा कोरोना' में दिल्ली स्थित AIIMS के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस के मामलों पर बात करते हुए इस बीमारी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस का अगर समय पर इलाज न किया जाए और यह शरीर में ज्यादा फैल जाए तो इसकी मृत्यु दर कोरोना वायरस संक्रमण की मृत्यु दर से ज्यादा है।

ब्लैक फंगस को अपने शरीर में कैसे डिटेक्ट करें?

डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि जिनको भी शुगर की बीमारी है वह लगातार अपनी शुगर को कंट्रोल करते रहें। अगर आप कोविड पॉजिटिव हैं तो डॉक्टर की सलाह से ही स्टेरॉयड लें। सिर में दर्द, जो ठीक नहीं हो रही हो, नाक से खून आना, चेहरे के किसी एक भाग में सूजन आना, धुंधला दिखना, कभी कभी बुखार आना या खांसी के साथ खून आना भी इसके लक्ष्ण हैं।

ब्लैक फंगस से कितना सावधान रहने की जरूरत?

AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया कि अगर समय पर ब्लैक फंगस के मरीजों को उपचार नहीं मिले और इस शरीर में ज्यादा फैलने का मौका मिल जाए तो कोरोना वायरस संक्रमण के मुकाबले इसकी मृत्यु दर ज्यादा है। दूसरी कोरोना लहर में डर के कारण लोगों ने ज्यादा स्टेरॉयड लिए हैं। यही वजह है कि देश में ब्लैक फंगस के मामले बढ़े हैं।

पहले भी मिले ब्लैक फंगस के मामले?

उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस के मामले बढ़े हैं और मेरा मानना है कि जैसे-जैसे कोविड के मामले घटेंगे, वैसे-वैसे ही ब्लैक फंगस के मामले भी घटेंगे। ब्लैक फंगस पहले भी था। अगर हम आंकड़े देखें तो पहली लहर में भी कुछ केस आए थे। हालांकि, केस कम थे। अगर हम सार्स के आंकड़े देखें, जो 2002-2003 में आया था तो उस समय भी ब्लैक फंगस के मामले आए थे।"

कम इम्यूनिटी में स्टेरॉयड से है खतरा?

डॉ गुलेरिया ने कहा कि कोविड वायरस शरीर में इम्यूनिटी कम करता है, जिससे फंगल इंफेक्शन के मामले बढ़ते हैं। इसके ऊपर अगर किसी ने स्टेरॉयड ज्यादा लिए हैं और वह डायबिटिक भी है तो उसको ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में जिनको कोविड के हल्के लक्ष्ण हैं या बिना लक्षण वाले मरीज हैं, उन्हें यही सलाह है कि वह स्टेरॉयड न लें।"

क्या है ब्लैक फंगस का ट्रीटमेंट?

उन्होंने बताया कि अगर समय रहते पता चल जाए तो हल्की सर्जरी करके फंगस को निकाला जा सकता है। अगर देर से पता चलता है और शरीर के ज्याद अंदर फंगस पहुंच जाए तो बड़ी सर्जरी जरूरी होती है। 

छूने से फैलता है ब्लैक फंगस?

डॉ गुलेरिया ने बताया कि ब्लैक फंगस छूत की बीमारी नहीं है, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। लेकिन, इस बीमारी को ठीक करने में ज्यादा समय लगता है जबकि कोरोना के उपचार में इतना समय नहीं लगता।

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