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चमोली: तपोवन सुरंग के बाहर दो दिन से मालिक के इंतजार में बैठा कुत्ता

उत्तराखंड के चमोली जिले के रेंणी क्षेत्र में आई विकराल बाढ़ में लापता हुए शख्स का कुत्ता पिछले दो दिनों से तपोवन टनल के बाहर अपने मालिक का इंतजार कर रहा है।

Reported by: Pawan Nara @Pawan_nara
Published on: February 09, 2021 16:44 IST
चमोली: तपोवन सुरंग के बाहर दो दिन से मालिक के इंतजार में बैठा कुत्ता- India TV Hindi
चमोली: तपोवन सुरंग के बाहर दो दिन से मालिक के इंतजार में बैठा कुत्ता

चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले के रेंणी क्षेत्र में आई विकराल बाढ़ में लापता हुए शख्स का कुत्ता पिछले दो दिनों से तपोवन टनल के बाहर अपने मालिक का इंतजार कर रहा है। कुत्ते का वहां से बार-बार भगाया जाता है लेकिन वह हर बार लौट आता है और टनल के बाहर आकर खड़ा हो जाता है। कुत्ता यहां अपने मालिक को गंध सूंघ रहा है लेकिन फिलहाल उसे नाउम्मीदी का ही सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, वह अपने प्रयास जारी रखे हुए है।

कहां तक पहुंचा रेस्क्यू ऑपरेशन?

चमोली के रैणी गांव से 4 शव और बरामद किए गए हैं। एनडीआरएफ की टीम ने शव को बरामद किया। इन शवों के मिलने के बाद चमोली आपदा में मरने वालों का आंकड़ा 33 तक पहुंचा गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि तपोवन टनल में क़रीब 35 श्रमिक फंसे हैं, उनके लिए ड्रिल करके टनल में रस्सी लगाने की कोशिश की जा रही है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा सफलता में अभी थोड़ा समय लगेगा लेकिन इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सीएम रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री का सुबह फोन आया था, प्रधानमंत्री लगातार यहां का अपडेट ले रहे हैं। पीएम मोदी खुद भी इस बात को कह चुके हैं कि वह अधिकारियों के संपर्क में हैं।

वहीं, इससे पहले केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह ने बताया कि NTPC के 93 श्रमिक अभी भी लापता हैं। 39 लोग अभी भी सुरंग में फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी परियोजनाएं जहां हैं हर जगह अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाएंगे। मारे गए श्रमिकों के परिवार को 20-20 लाख रुपये देने को कहा गया है।

कैसे आई आपदा?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को इसरो के वैज्ञानिकों के हवाले से कहा कि रविवार को चमोली जिले में आपदा हिमखंड टूटने के कारण नहीं बल्कि लाखों मीट्रिक टन बर्फ के एक साथ फिसलकर नीचे आने की वजह से आई। रैंणी क्षेत्र में ऋषिगंगा और धौलीगंगा में अचानक आई बाढ के कारणों पर यहां सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस के अधिकारियों और इसरो के वैज्ञानिकों के साथ उन्होंने बैठक की थी। 

बैठक के बाद मुख्यमंत्री रावत ने कहा, ‘‘दो तीन दिन पहले वहां जो बर्फ गिरी थी, उसमें एक ट्रिगर प्वाइंट से लाखों मीट्रिक टन बर्फ एक साथ स्लाइड हुई और उसके कारण यह आपदा आई है।’’ उन्होंने कहा कि वहां कोई हिमखंड नहीं टूटा है। रावत ने कहा कि इसरो की तस्वीरों में कोई ग्लेशियर नजर नहीं आ रहा है और पहाड़ साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि वैसे भी हादसे वाली जगह आपदाओं के प्रति संवेदनशील नहीं है। 

सीएम रावत ने कहा कि तस्वीरों में पहाड़ की चोटी पर कुछ दिखाई दे रहा है जो ट्रिगर प्वाइंट हो सकता है जहां से बड़ी मात्रा में बर्फ फिसलकर नीचे आई होगी और नदियों में बाढ आ गई। 

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