Highlights
- MSP का बड़ा सवाल है, इसपर कानून बनना चाहिए- राकेश टिकैत
- 750 किसान शहीद किसानों को मुआवजा मिले- राकेश टिकैत
- अजय टेनी दोषी, उसे हटाया जाए- राकेश टिकैत
नई दिल्ली. दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन अभी जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा के बाद भी प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली की सीमा से हटने को राजी नहीं है। किसान आंदोलन का 1 साल पूरा होने पर इंडिया टीवी ने बात की किसान नेता राकेश टिकैत से। उनसे जब सवाल किया गया कि कृषि कानून वापसी के ऐलान के बाद भी प्रदर्शन की क्या वजह है तो उन्होंने कहा, "MSP पर कौन बात करेगा, ये MSP पर गारंटी कानून कौन बनाएगा, 750 किसान शहीद हो गए इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। ये बहुत से सवाल हैं हमारे, बहुत से सवाल सरकार को अभी करने पड़ेंगे, कुछ सवाल ऐसे हैं जो बाद में हो जाएंगे और उनपर कमेटी बनेगी। MSP तुरंत का मामला है, ये अभी होना चाहिए।
राकेश टिकैत ने कहा कि MSP का बड़ा सवाल है, इसपर कानून बनना चाहिए अभी। कानून बन जाए और वो 2-3 महीने में प्रभावी करने के लिए कमेटी बने। 750 किसान शहीद हुए हैं उनको मुआवजा मिले और उनको दिल्ली में एक जगह मिल जाए उनका शहीद समारक बनाने के लिए। अजय टेनी दोषी है और 120 का मुलजिम है, ये कुछ अभी के मामले हैं, वे तुरंत हल हों। ये तीन चार चीजें हो जाएं तो धरना समाप्त हो सकता है।
उन्होंने कहा कि बाद के मामलों में सरकार अगर कोई पॉलिसी लेकर आना चाहती है तो उसपर कमेटी बन जाए, सीड बिल है, दूध का बिल है, ऐसे मामलों पर कमेटी बने और सरकार हमसे समय-समय पर सरकार बात करती रहे। उन्होंने कहा कि MSP पर लूट हो रही है। इनको देश के किसानों का अनाज लूटना है और इसलिए MSP पर बात नहीं करना चाहते। MSP पर कोई बात नहीं करता, धान की फसल कई जगहों पर एमएसपी से नीचे बिक रही है।
राकेश टिकैत ने कहा कि जाति का आंदोलन नहीं है। इस आंदोलन को जातियों का आंदोलन मत बनाओ इसे किसानों का आंदोलन ही रहने दो। मैं नहीं जानता की आंदोलन बने रहने से भाजपा को लाभ होगा या नुकसान। उन्होंने कहा कि हम चुनाव का नहीं बल्कि सड़क का हिस्सा बनेंगे, क्योंकि यहां से भी कोई आवाज उठाने वाला चाहिए, यहीं से बात सही जगह जाती है। इंटरव्यू के अंत में जब राकेश टिकैत से सवाल किया गया कि क्या वो क्या देश के कृषि मंत्री बनना चाहते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि हम हम कृषि मंत्री नहीं बनना चाहते बल्कि सड़कों पर आंदोलन करना चाहते हैं।