भारत और चीन के बीच डिवीजनल कमांडर लेवल की बातचीत आज एक बार फिर शुरू हो गई है। भारत की ओर से इस बैठक में त्रिशूल डिवीज़न के कमांडर मेजर जनरल अभिजीत बाप्टा अपने चाइनीज़ काउंटर पार्ट के साथ बात करेंगे। बैठक में गलवान घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प पर चर्चा होगी। बता दें कि भारत और चीन के बीच सैन्य स्तर की एक बातचीत का दौर कल भी हुआ है, लेकिन यह बातचीत बेनतीजा रही थी।
सूत्रों के अनुसार गलवान के इलाक़े में चीन की इस चाल को नाकाम करने की रणनीति के साथ मेजर जनरल अभिजीत बाप्टा अपना पक्ष रखेंगे। भारत द्वारा चीन को यह भी बताया जाएगा कि वो इलाक़ा भारत का है। बता दें कि चीन भारत के साथ हुई पिछली पांच संधियों को पूरी तरह से तोड़ चुका है। बता दें कि चीन भारत के बीच 7 सितंबर 1993, 29 नवंबर 1996, 11 अप्रैल 2005, 17 जनवरी 2012, 23 अक्टूबर 2013 को हुई थी।
बता दें कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक झड़प वाले स्थान के पास भारत और चीन की सेनाओं के डिविजनल कमांडरों के बीच बैठक बुधवार को बेनतीजा रही। मेजर जनरल स्तरीय बातचीत में गलवान घाटी से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को लागू करने पर चर्चा हुई। छह जून को दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में इसी पर सहमति बनी थी। लेह स्थित 3 इन्फेंट्री डिविजन के कमांडर मेजर जनरल अभिजीत बापट ने वार्ता में भारतीय प्रतिनिधित्व का नेतृत्व किया। बता दें कि गलवान घाटी में सोमवार को हिंसक झड़प में भारत के एक कर्नल सहित 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। दोनों सेनाओं के बीच यह संघर्ष गलवान नदी के दक्षिणी तट पर हुआ था। यह नदी पूरब से पश्चिम की ओर बहती है और श्योक नदी में जाकर मिल जाती है।
दोनों सेनाएं एलएसी पर तैनात
बातचीत यह सुनिश्चित करने के लिए हुई है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी गलवान घाटी से अपने सैनिकों को वापस हटाए और सभी मिलिट्री ग्रेड टेंट्स वहां से हटा ले, जिनमें चीनी सैनिक रहते हैं। दोनों सेनाओं ने संघर्ष स्थल पर सैनिकों की फिर से तैनाती कर दी है। सूत्रों ने कहा कि भारतीय सैन्य अधिकारियों ने चीनी समकक्षों से स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें हर हाल में पीछे हटना होगा। भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "बातचीत गुरुवार को भी जारी रहेगी। भारत की ओर से नियुक्त एक मेजर जनरल कल (गरुवार) अपने चीनी समकक्ष के साथ फिर बातचीत करेंगे।"