बरेली के जिला अस्पताल में डॉक्टरों की संवेदनहीनता का ऐसा मामला सामने आया है जिसे जानकर आपका भी कलेजा कांप जाएगा। एक महिला चार दिन की बच्ची को गोद में लेकर एक ही हॉस्पिटल के अलग-अलग वार्ड का चक्कर लगाती रही। तीन घंटे तक डॉक्टर उसे इस वार्ड से उस वार्ड का चक्कर लगवाते रहे और अंत में गोद में ही बच्ची की मौत हो गई। महिला जब बच्ची का शव गोद में लेकर हॉस्पिटल के सीएमएस के चेंबर में पहुंची तो उस वक्त भी डॉक्टर आपस में झगड़ा करने लगे लगे। बच्ची की मौत के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने लगे। CMS साहव कुर्सी पर बैठे बैठे डॉक्टर्स की तू-तू मैं-मैं सुनते रहे और महिला बच्ची की लाश को गोद में लेकर चुपचाप खड़ी रही।
दरअसल योगेंद्र नाम का शख्स अपने घर से चालीस किलोमीटर दूर चार दिन की बेटी को बरेली के जिला अस्पताल में पहुंचा। उसके साथ बच्ची की नानी भी थी। बच्ची अंडरवेट और कमजोर थी। उसे तुंरत इलाज की जरूरत थी। डॉक्टर्स भी ये बात समझ रहे थे लेकिन पहले बच्ची को एडमिट करने के बजाए कागजी कार्रवाई में वक्त काटा गया। ओपीडी से पर्ची बनवाई और वहां डॉक्टर को दिखाया। लेकिन वहां मौजूद डॉक्टर ने कहा बच्ची प्री मैच्योर थी और वजन कम था...इसलिए बेहतर इलाज के लिए महिला हॉस्पिटल में एडमिट करवा दीजिए।
बच्ची के पिता महिला अस्पताल गए औप वहां डॉक्टर से मिले लेकिन डॉक्टर ने कह दिया कि यहां बेड की कमी है। लिखकर दिया कि यहां बेड उपलब्ध नहीं है इसलिए उसे बगल वाली बिल्डिंग यानी पुरुष अस्पताल में ले जाएं....लेकिन जब वहां पहुंचे तो वहां भी एडमिट करने को लेकर आनाकानी होती रही। बच्ची का पिता एक ही हॉस्पिटल में चार दिन की बेटी के लेकर एक बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग में घूमता रहा और आखिरकार चार दिन की मासूम ने अपनी नानी की गोद में ही दम तोड़ दिया।