Monday, December 23, 2024
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मुस्लिम पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'अयोध्या में विवादित भूमि कभी निर्मोही अखाड़ा की नहीं थी'

मुस्लिम पक्षों ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि अयोध्या की विवादित ‘राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि’ कभी भी निर्मोही अखाड़ा की नहीं रही थी।

Reported by: Bhasha
Updated : September 11, 2019 23:07 IST
Supreme Court
Supreme Court

नयी दिल्ली: मुस्लिम पक्षों ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि अयोध्या की विवादित ‘राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि’ कभी भी निर्मोही अखाड़ा की नहीं रही थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस भूमि विवाद मामले में 21 वें दिन की सुनवाई की। पीठ ने दोपहर दो बजे बैठने के बाद करीब डेढ़ घंटे मामले की सुनवाई की। मुस्लिम पक्षों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने न्यायालय से कहा कि अखाड़ा इस कानूनी अड़चन से पार नहीं पा सकता कि (विवादित) स्थल पर कथित कब्जे पर उसके पुन: दावे से संबद्ध 1959 के मुकदमे की समय सीमा लिमिटेशन कानून के तहत खत्म हो गई। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि का एक तिहाई हिस्सा अखाड़ा को प्रदान किया था। 

अखाड़ा ने कहा था, ‘‘जन्मस्थान अब ‘‘जन्मभूमि’’ के रूप में जाना जाता है और हमेशा ही ‘उसका रहा’ है।’’ धवन ने न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर की सदस्यता वाली पीठ से कहा कि निर्मोही अखाड़ा के मुताबिक ‘‘उसका रहा’’ शब्द ने मुकदमा दायर करने के लिए लिमिटेशन अवधि को विस्तारित किया। 

धवन ने सुन्नी वक्फ बोर्ड और मूल वादी एम सिद्दीक सहित अन्य की ओर से पेश होते हुए कहा, ‘‘इसका जवाब है कि यह (भूमि) उनकी(अखाड़े की) नहीं रही है और अखाड़ा ना तो ट्रस्टीशिप पर अंग्रेजों के कानून के तहत और ना ही शिबैत(उपासक) के रूप में इस जमीन का मालिक है। मुस्लिम पक्षों ने कहा है कि अदालत द्वारा नियुक्त रिसीवर द्वारा पांच जनवरी 1950 को विवादित स्थल को कुर्क किये जाने के करीब नौ साल बाद अखाड़ा ने 1959 में एक मुकदमा दायर किया था। 

दरअसल, इससे पहले 22-23 दिसंबर 1949 को कुछ उपद्रवी तत्वों ने विवादित ढांचे के मध्य गुंबध के अंदर कथित तौर पर मूर्तियां रखी थी। उनका कहना है कि 1950 में हुई इस कथित कार्रवाई के तीन साल के अंदर मुकदमा दायर किया जाना चाहिए था और इस तरह अखाड़ा के 1959 के मुकदमे की समय सीमा खत्म हो गई। न्यायालय बृहस्पतिवार को भी सुनवाई जारी रखेगा, जब धवन दलीलें आगे बढ़ाएंगे। 

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