नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को 21 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। दिशा को किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित एक ‘टूलकिट’ सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने पुलिस को रवि से हिरासत में पूछताछ करने की अनुमति दे दी, जब उसने कहा कि जलवायु कार्यकर्ता का इस मामले में अन्य सह-आरोपियों से आमना-सामना कराने की जरूरत है। पुलिस ने 5 दिनों की रिमांड मांगी थी, जिसका दिशा रवि के वकील की ओर से विरोध किया गया।
रवि को तीन दिन की न्यायिक हिरासत समाप्त होने के बाद अदालत में पेश किया गया था। अदालत ने बीते शुक्रवार को उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया था, जब पुलिस ने कहा था कि फिलहाल उससे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। पुलिस ने कहा था कि सह-आरोपियों निकिता जैकब और शांतनु मुलुक के 22 फरवरी को पूछताछ में शामिल होने के बाद वह रवि को हिरासत में पूछताछ के लिये भेजने की मांग करेगी। रवि को दिल्ली पुलिस ने 13 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था।
मंगलवार को दिशा रवि की जमानत याचिका पर आएगा फैसला
गौरतलब है कि दिशा रवि किसानों के आंदोलन से जुड़े 'टूलकिट' षड्यंत्र मामले में साजिश और देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रही है और 13 फरवरी को उसे बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने टूलकिट मामले में गिरफ्तार दिशा रवि की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है। दिशा रवि की जमानत अर्जी पर आदेश मंगलवार (23 फरवरी) को सुनाया जाएगा।
टूलकिट मामला : निकिता, शांतनु दिल्ली पुलिस की जांच में हुए शामिल
टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल द्वारा की जा रही जांच में सोमवार को निकिता जैकब और शांतनु मुलुक ने हिस्सा लिया। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने जैकब और मुलुक से फोन पर संपर्क किया था और फिर दोनों को नोटिस जारी किए थे। इसके बाद दोनों ने सोमवार को जांच के लिए मौजूद होने की बात कही थी। साइबर सेल यूनिट द्वारका में इन दोनों से पूछताछ करेगी, क्योंकि इस मामले में उनकी भूमिका को साबित करने के लिए सबूतों की दरकार है। इस मामले के तीनों आरोपी- शांतनु, निकिता और दिशा रवि से एक साथ पूछताछ की जा सकती है।
बता दें कि साइबर सेल के पास उनके खिलाफ सबूत हैं। वहीं पुलिस ने कहा है कि उन्हें टूलकिट के बारे में गूगल से आईपी एड्रेस और विभिन्न लोकेशन को लेकर भी जबाव मिला है। सूत्रों की मानें तो ये टूलकिट कर्नाटक और महाराष्ट्र की कुछ जगहों से अपलोड किया गया था। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने जूम से भी इस बारे में जानकारी मांगी है। यह जूम कॉल 11 जनवरी को की गई थी, जिसमें शांतनु और निकिता समेत करीब 70 लोगों ने हिस्सा लिया था।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि रवि, जैकब और मुलुक ने किसान आंदोलन से संबंधित यह टूलकिट बनाई थी और इसे जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के साथ शेयर किया गया था। इस टूलकिट में दिशानिर्देशों की एक पूरी श्रृंखला दी गई है जो बताता है कि कैसे किसी विशेष उद्देश्य को पूरा किया जा सकता है।
अदालत में पुलिस ने दी थी ये दलील
पिछली सुनवाई में पुलिस ने अदालत को बताया था कि सह-अभियुक्त शांतनु मुलुक के साथ उसका सामना करना आवश्यक है। इससे पहले मुलुक और एक अन्य आरोपी निकिता जैकब इस मामले की जांच में द्वारका स्थित दिल्ली पुलिस के साइबर सेल कार्यालय हाजिर हुए। उन्हें पिछले सप्ताह जांच में शामिल होने के लिए नोटिस जारी किया गया था। 20 फरवरी को जमानत के लिए तीन घंटे की सुनवाई के दौरान पुलिस ने कहा था कि यह 'टूलकिट' भारत को बदनाम करने और हिंसा भड़काने के उद्देश्य से की गई एक नापाक कोशिश थी। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने अदालत से कहा कि अपनी संलिप्तता छिपाने के लिए पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन और सिख्स फॉर जस्टिस ने नापाक हरकतों को अंजाम देने के लिए दिशा रवि को एक मोर्चे के रूप में इस्तेमाल किया। ये संगठन खालिस्तानी आंदोलन से जुड़े हैं। दिल्ली पुलिस ने दलील दी है कि स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसानों के विरोध का समर्थन करने के लिए गूगल दस्तावेज को ट्वीट किया और फिर इसे डिलीट कर दिया। इस दस्तावेज को दिशा रवि और दो अन्य कार्यकर्ताओं- जैकब और मुलुक ने तैयार किया था।