नई दिल्ली: टूलकिट मामले में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है। दिशा को किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित एक ‘टूलकिट’ सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अब इस मामले में उन्हें जमानत मिल गई है।
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने दिशा रवि को आज सीएमएम कोर्ट में पेश करके चार और दिन की पुलिस हिरासत की मांग की थी क्योंकि आज दिशा रवि की पुलिस हिरासत खत्म हो रही थी। ऐसे में कोर्ट ने जमानत पर सुरक्षित रखे गए फैसले को सुनाते हुए दिशा रवि को जमानत दे दी। जज धर्मेंद्र राणा ने दिशा रवि का बेल ऑर्डर पास किया है।
बता दें कि इससे पहले 22 फरवरी को दिशा रवि को एक और दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था। रवि को तीन दिन की न्यायिक हिरासत समाप्त होने के बाद अदालत में पेश किया गया था। रवि को दिल्ली पुलिस ने 13 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था।
दिशा रवि खालिस्तान समर्थकों के संपर्क में थी: दिल्ली पुलिस
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस का कहना है कि दिशा रवि खालिस्तान समर्थकों के संपर्क में थी। दिल्ली पुलिस ने 20 फरवरी को दिशा रवि की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अदालत में आरोप लगाया था कि वह खालिस्तान समर्थकों के साथ यह दस्तावेज (टूलकिट) तैयार कर रही थी। साथ ही, वह भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में देश में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश का हिस्सा थी।
पुलिस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा के समक्ष कहा था, ‘‘यह महज एक टूलकिट नहीं है। असली मंसूबा भारत को बदनाम करने और यहां (देश में) अशांति पैदा करने का था।’’ दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि रवि ने व्हाट्सऐप पर हुई बातचीत (चैट), ईमेल और अन्य साक्ष्य मिटा दिये तथा वह इस बात से अवगत थी कि उसे किस तरह की कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
दिशा रवि के वकील ने कहा था कि यह प्रदर्शित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है कि किसानों के प्रदर्शन से जुड़ा ‘टूलकिट’ 26 जनवरी को हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार है। दिशा ने अपने वकील के जरिए अदालत से कहा, ‘‘यदि किसानों के प्रदर्शन को वैश्विक स्तर पर उठाना राजद्रोह है, तो मैं जेल में ही ठीक हूं।’’
क्या होता है ‘टूलकिट’?
‘टूलकिट’ ऐसा दस्तावेज होता है, जिसमें किसी मुद्दे की जानकारी देने के लिए और उससे जुड़े कदम उठाने के लिए विस्तृत सुझाव दिये होते हैं। आमतौर पर किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले लोगों को इसमें दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इसका उद्देश्य किसी खास वर्ग या लक्षित समूह को जमीनी स्तर पर गतिविधियों के लिए दिशानिर्देश देना होता है।