नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने कहा है कि भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही के साथ ही आवश्यक अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। आयोग ने कुछ अनुशासनात्मक मामलों की जांच पड़ताल के दौरान यह गौर किया कि विभागों या संगठनों की ओर से अभियोजन की कार्यवाही और विभागीय कार्रवाई साथ साथ चलाया जाना इस आधार पर अनावश्यक रूप से विलंबित किया जाता है कि मामला अदालत में लंबित है।
आयोग ने बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य केंद्रीय सरकारी संगठनों को हाल में जारी निर्देश में कहा, ‘अनुशासनात्मक मामलों को अंतिम रूप देने में ऐसा रूख गंभीर चिंता का विषय हैं और साथ ही यह सही रुख नहीं है।’ CVC ने कहा कि किसी भी संगठन के अनुशासनात्मक प्राधिकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपराधिक सुनवायी का सामना कर रहे कर्मचारियों के खिलाफ साथ साथ विभागीय कार्रवाई भी की जाए। CVC ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का उल्लेख करते हुए कहा, ‘आपराधिक और विभागीय कार्रवाई साथ-साथ करने में कोई रोक नहीं है।’
उसने कहा कि सक्षम प्राधिकार द्वारा इस बारे में राय उसी समय बनाई जानी चाहिए जब अभियोजन के लिए मंजूरी के अनुरोध पर विचार किया जाता है। केंद्रीय सतर्कता आयोग ने कहा, ‘आयोग सभी संबंधित प्रशासनिक प्राधिकारियों को सलाह देता है कि ऐसे मामलों जिनमें आपराधिक अभियोजन के साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करना उचित है, अनुशासनात्कक कार्रवाई साथ ही में शुरू की जानी चाहिए।’