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75 फीसदी मधुमेह रोगियों को होती रेटिनोपैथी: शोध

डायबिटीज यानी मधुमेह के कारण डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (DME) हो सकता है, जो रेटिना का तेजी से फैलने वाला रोग है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: November 16, 2018 12:44 IST
डायबिटीज यानी मधुमेह...- India TV Hindi
डायबिटीज यानी मधुमेह के कारण डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (DME) हो सकता है, जो रेटिना का तेजी से फैलने वाला रोग है।

भारत में डायबिटीज मेलिटस काफी व्यापक है और इसके रोगियों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। डायबिटीज यानी मधुमेह के कारण डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (DME) हो सकता है, जो रेटिना का तेजी से फैलने वाला रोग है। इससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है। 

‘मधुमेह रोगियों को दृष्टिहीनता का 25% ज्यादा खतरा’

मधुमेह से पीड़ित लोगों में अन्य लोगों की तुलना में दृष्टिहीन होने का जोखिम 25 प्रतिशत अधिक होता है। ये जानकारी एक शोध में सामने आया है। डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (DME) में रेटिना में तरल जमा हो जाता है। ऐसा रिसती ब्लड वैसील्स के कारण होता है। अगर किसी व्यक्ति में डायबेटिक रेटिनोपैथी (DR) पाया जाता है तो उसे DME हो सकता है। DR का आम रूम DME है।

DME के लक्षण

मधुमेह से पीड़ित हर रोगी को DR होने का जोखिम रहता है। DME के लक्षणों में धुंधला या अस्पष्ट दिखना, सीधी लाइनों का लहरदार दिखना, कॉन्ट्रास्ट कम होना या रंग समझने की क्षमता जाना, एक दूरी से देखने में कठिनाई, दृष्टि के केंद्र में छोटा, लेकिन बढ़ता हुआ धब्बा शामिल है। 

‘75 प्रतिशत मधुमेह रोगियों में DR की शिकायत’

दिल्ली आई केयर में ओफ्थल्मोलॉजिस्ट एवं आई सर्जन डॉ. शशांक राय गुप्ता ने बताया, "मेरे क्लीनिक में आखों की जांच के लिए आने वाले 75 प्रतिशत मधुमेह रोगियों में डायबेटिक रेटिनोपैथी की कोई न कोई अवस्था पाई जाती है। मधुमेह और डायबेटिक मैक्युलर एडीमा (DME) के बढ़ते मामलों को देखते हुए हमें प्रारंभिक अवस्था में रोगियों की पहचान करने के लिए मजबूत दृष्टिकोण की जरूरत है।

मधुमेह की रोकथाम के उपाय

1. मधुमेह से पीड़ित रोगियों को प्रत्येक 6 माह में ओफ्थल्मोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए और तय अपॉइंटमेंट से चूकना नहीं चाहिए।

2. रोगियों को DME के लक्षणों के प्रति सचेत रहना चाहिए, जैसे धुंधला या अस्पष्ट दिखाई देना, सीधी लाइनों का लहरदार दिखाई देना, रंगों के प्रति असंवेदनशीलता, केंद्रीय दृष्टि में धब्बे, आदि और दृष्टि में परिवर्तन होने पर तुरंत विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।

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