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'21 फरवरी से शुरू होगा राम मंदिर निर्माण', साधु-संतों ने धर्म संसद में किया अयोध्या कूच का ऐलान

कुंभ में चल रही साधु-संतों की धर्म संसद में फैसला किया गया है कि 21 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी। इसके लिए साधु-संत प्रयागराज से अयोध्या के लिए कूच करेंगे।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : January 30, 2019 20:33 IST
Dharma sansad decides to lay the foundation stone of ram...
Dharma sansad decides to lay the foundation stone of ram mandir on feb 21st

नई दिल्ली: कुंभ में चल रही साधु-संतों की धर्म संसद में फैसला किया गया है कि 21 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी जाएगी। इसके लिए साधु-संत प्रयागराज से अयोध्या के लिए कूच करेंगे। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रस्ताव पढ़ा, जिसमें बताया गया कि 10 फरवरी (बसंत पंचमी) के बाद प्रयागराज से अयोध्या के लिए साधु-संत कूच करेंगे और 21 फरवरी को राम मंदिर का पहला शिला रखेंगे।

धर्म संसद में पारित प्रस्ताव को पढ़ते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अगर कोई राम मंदिर का शिलान्यास करने से रोकेगा तो गोली खाने को भी तैयार हैं। बता दें कि राम मंदिर निर्माण में हो रही देरे को देखते हुए कुंभ मेले में सोमवार को परम धर्म संसद की शुरुआत हुई थी। जिसमें साधु-संतों द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए उनकी आगे की रणनीति तैयार की जानी थी। धर्म संसद का आज आखिरी दिन है।

राम मंदिर निर्माण का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट  में है। हालांकि, कोर्ट में इस मामले की सुनवाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में ये मामला लंबे वक्त से अटका हुआ है और अब मांग हो रही थी कि इसकी सुनवाई को जल्द पूरा किया जाए। लेकिन, इसी बीच 29 जनवरी को होने वाली सुनवाई भी टल गई। जिससे साधु-संतों के बीच असंतोष पैदा हो गया। हालांकि, केंद्र सरकार ने अहम कदम उठाते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अयोध्या में विवादित स्थल के आस-पास की अतिरिक्त गैर विवादित जमीन उनके असली मालिकों को वापस करने की मांग की है।

याचिका में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विवादित ज़मीन के अलावा अधिग्रहित की गई अतिरिक्त ज़मीन का अधिग्रहण लौटा दिया जाए। बता दें कि 1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या में करीब 67 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया था। माना जा रहा है कि अयोध्या केस के सुनवाई में हो रही देरी की वजह से ही केंद्र सरकार ने ये कदम उठाया था। चूंकि, आसपास की सारी जमीन हिंदुओ की है तो इससे अधिग्रहण लौटाए जाने के बाद राम मंदिर का निर्णा शुरू होने की उम्मीद की जा रही है।

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