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कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु होने की आशंका को एक तिहाई कम कर देती है Dexamethasone: यूके मीडिया

यूके मीडिया के मुताबिक डेक्सामेथासोन कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु होने की आशंका को एक तिहाई कम कर देती है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 16, 2020 18:50 IST
कोरोना संक्रमित...- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु होने की आशंका को एक तिहाई कम कर देती है Dexamethasone: यूके मीडिया  

नई दिल्ली: यूके मीडिया के मुताबिक डेक्सामेथासोन कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु होने की आशंका को एक तिहाई कम कर देती है। डेक्सामेथासोन अर्थराइटिस और अन्य बीमारियों के लिए एक सस्ती दवा है। इसका इस्तेमाल रक्त/हॉर्मोन/इम्यूनिटी सिस्टम डिसऑर्डर, एलर्जिक रिएक्शन, कुछ प्रकार की त्वचा और आंखों की स्थिति, सांस की समस्या, कुछ प्रकार का बॉवेल डिसऑर्डर और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी स्थिति का इलाज करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा एड्रेनल ग्लैंड डिसऑर्डर को भी टेस्ट करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

डेक्सामेथासोन एक प्रकार का कॉर्टिकोस्टेरॉइड हॉर्मोन (ग्लूकोकोर्टिकॉड) है। यह शरीर का नैचुरल डिफेंसिव रिस्पॉन्स कम करता है और लक्षण जैसे सूजन व कुछ प्रकार के एलर्जिक टाइप के रिएक्शन को दूर करता है। डेक्सामेथासोन को डॉक्टर की सलाह से खाने के रूप में लें। इसको आप एक ग्लास पानी (240 मिलीलीटर) के साथ लें, तब तक जब डॉक्टर आपको अन्य मात्रा न बता दें। अगर आप दवा को लिक्विड तरीके से ले रहे हैं, तो माप के लिए किसी उपकरण का इस्तेमाल करें। घर की चम्मच का इस्तेमाल न करें।

वहीं, आपको बता दें कि एक अध्ययन में यह दावा किया गया है कि दुनिया का हर पांचवां व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है और ऐसा व्यक्ति यदि कोरोना वायरस की चपेट में आता है तो उसके गंभीर रूप से संक्रमित होने का खतरा अपेक्षाकृत अधिक है। इस अध्ययन की मदद से उन लोगों को कोविड-19 से बचाने संबंधी रणनीतियां बनाने में मदद मिल सकती है, जिन्हें संक्रमण का अधिक खतरा है।

पत्रिका ‘द लांसेट ग्लोबल हेल्थ’ में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया की 1.7 अरब आबादी यानी विश्व में 22 प्रतिशत लोग लंबे समय से किसी न किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं। इसके कारण उनके कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित होने का खतरा अधिक है। अनुसंधानकर्ताओं के इस दल में ब्रिटेन के ‘लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन’ के अनुसंधानकर्ता भी शामिल हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि जिन लोगों को गंभीर संक्रमण का खतरा अधिक है, उनमें सर्वाधिक लोग उन देशों के हैं, जहां बुजुर्गों की आबादी अधिक है। इनमें उन अफ्रीकी देशों के लोग भी बड़ी संख्या में हैं, जहां एड्स/एचआईवी के मरीज अधिक है। इसके अलावा उन छोटे द्वीपीय देशों में भी बड़ी संख्या में लोगों के गंभीर रूप से संक्रमित होने का खतरा है, जहां मधुमेह के मरीज अधिक हैं।

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