नई दिल्ली: नई दिल्ली: देश भर में जन्माष्टमी की धूम मची हुई है। सभी राज्यों में श्रीकृष्ण जन्म का उत्साह तो है ही पर ब्रज की तो बात ही निराली है। रविवार को कृष्ण जन्मभूमि समेत घर-घर और मंदिरों में गोपाल प्रकट हुए हैं। केवल भारत में हीं नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी जन्माष्टमी को पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया।
चूंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इसीलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है। श्रीकृष्ण के तो अनेकों-नेक भक्त हैं और उन्हीं भक्तों में से एक नाम भक्त 'रसखान' का भी आता है। सन् 1558 में दिल्ली में जन्में सैयद इब्राहिम खान कृष्ण भक्ति की कविताएं लिखने के कारण कवि 'रसखान' के नाम से प्रसिद्ध हुए।
एक औरत ने भगवान श्रीकृष्ण की इतनी भक्ति की कि श्रीकृष्ण की मूर्ती को ही अपना सबकुछ मान लिया गोपाल की मूर्ति को अपने सगे बच्चे की तरह प्यार करना दिन रात सेवा करना पूजा अर्चना करते-करते अपना दिन निकाल देती। दिल्ली की रहने वाली ये औरत और दिल्ली में ही शादी हो गई लेकिन वृंदावन जाना नहीं छोड़ा। बच्चे बड़े होने के बाद बच्चों की भी शादी हो गई लेकिन वृंदावन जाना नहीं छोड़ा। आखिर में जब बुढ़ापा आ गया तो फिर एक बार वृंदावन गई। वहां से एक सुंदर सी गोपाल की मूर्ति ले आई। उस मूर्ति को वो अपने से कलेजे से लगाकर रखती थी। हमेशा सजा कर रखती थी। एक पल भी उससे दूर रहना उस औरत को गवारा नहीं था। दिन में भागकर, रात में जागकर, तो कभी अपने कमरे से वो झांक कर देखती थी। इस उम्र में भी वो अपनी जान से ज्यादा वो अपने लाल 'श्री कृष्ण' का ध्यान रखती थी। देखें spicebhakti द्वारा यूट्यूब पर साझा किया गया ये शानदार वीडियो-
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