नई दिल्ली. हिंद महासागर क्षेत्र में अपने युद्धपोतों की तैनाती में पर्याप्त वृद्धि के साथ ही भारतीय नौसेना चीन के साथ सीमा तनाव से संबंधित जारी गतिविधियों में सेना की अन्य शाखाओं को रणनीतिक मदद मुहैया करा रही है। सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि चीन के साथ जब से सीमा तनाव शुरू हुआ है, भारतीय नौसेना ने कथित तौर पर आईओआर में युद्धपोतों की तैनाती बढ़ा दी है। कुछ अनुमानों से संकेत मिलता है कि तैनाती में यह वृद्धि लगभग 25 प्रतिशत है।
अधिकारियों ने कहा कि पिछले 100 दिनों में नौसेना को उत्तर में लद्दाख से दक्षिण में मॉरिशस तक और पश्चिम में लाल सागर से पूर्व में मलक्का स्ट्रेट तक संचालन करते देखा गया है। भारतीय नौसेना ने आईओआर में प्रमुख ठिकानों पर मिशन बेस्ड डिप्लॉयमेंट पर जहाजों को तैनात किया है, ताकि एक व्यापक समुद्री तस्वीर विकसित किया जाए और विकसित हो रहीं स्थितियों से निपटा जाए।
बंगाल की खाड़ी, मलक्का स्ट्रेट, अंडमान सागर, दक्षिणी और मध्य हिंद महासागर क्षेत्र, अदन की खाड़ी और फारस की खाड़ी में किसी भी समय युद्धपोत गश्त करते रहते हैं। इसके अतिरिक्त समुद्री सुरक्षा संबंधित घटनाओं के बाद एक लड़ाकू युद्धपोत भी फारस की खाड़ी से गुजरने वाले भारतीय व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा के लिए जून 2019 से ऑपरेशन संकल्प पर तैनात किया गया है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "एक नेटवर्क सक्षम बल होने के नाते नौसेना आईएफसी-आईओआर जहाजों के इस्तेमाल के जरिए पी-8आई और डोनियर सर्विलांस विमान और अन्य हाई-एंड सर्विलांस टूल के माध्यम से आईओआर के पूर्ण अवेयरनेस को बनाए रखती है।"
नौसेना लगभग 20 सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय में तट के पास भी चौकसी कर रही है, ताकि 26/11 जैसी घटना को रोका जा सके। मई, जून के महीने में पूर्वी लद्दाख में चीनी पीपल लिबरेशन आर्मी की गतिविधि के बाद जिसमें 15 जून को हुए संघर्ष में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के तीनों प्रमुख संयुक्त रेस्पॉन्स को समन्वित करने के लिए दैनिक आधार पर मुलाकात कर रहे हैं। उसके बाद से भारतीय नौसेना चीनी बलों को रणनीतिक संकेत देने के लिए सबसे आगे रही है।
आस्ट्रेलिया के साथ आपसी लॉजिस्टिक्स सपोर्ट समझौते पर जून में हस्ताक्षर होने के बाद भारतीय नौसेना को दक्षिणी हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से स्थित कोकोस और कीलिंग द्वीपों तक पहुंच सुलभ हो सकी है, जिससे चीनी नौसेना के जहाजों और हिंद महासागर में प्रवेश करने वाली पनडुब्बियों पर भारतीय नौसेना के जहाज और विमान नजर रखने में सक्षम होंगे। इसी तरह यह समझौता आस्ट्रेलियाई जहाजों और विमानों को अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह तक पहुंच सुलभ कराएगा, ताकि वे दक्षिण चीन सागर तक अपनी पहुंच बना सकें। भारतीय नौसेना ने गलवान संकट के दौरान विदेशी नौसेनाओं के साथ चार संयुक्त अभ्यास किए हैं।