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‘इस्लाम की नजर में गर्भपात कराना कत्ल करने के बराबर’

मुसलमानों में बिगड़ते लिंगानुपात के बीच देश के प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने गर्भपात के खिलाफ एक और फतवा जारी किया है।

Bhasha
Updated : June 09, 2016 15:47 IST
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लखनऊ: मुसलमानों में बिगड़ते लिंगानुपात के बीच देश के प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने गर्भपात के खिलाफ एक और फतवा जारी किया है। इदारे का कहना है कि इस्लाम की नजर में गर्भपात कराना कत्ल करने के बराबर बहुत बड़ा गुनाह है। दारुल उलूम देवबंद के फतवा विभाग ‘दारुल इफ्ता’ द्वारा गत छह जून को दिये गये फतवे में कहा गया है कि इस्लाम की शुरुआत से पहले लोग अपनी बच्चियों को जिंदा दफन कर दिया करते थे। कुरान शरीफ में इसकी सख्त निन्दा की गयी है। इस्लाम में गर्भपात करवाना अवैध और हराम है।

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फतवे में कहा गया है कि इस्लाम में बेटियों के साथ अच्छे बर्ताव का हुक्म दिया गया है। इस्लाम में लड़कियों के लिये किसी भी तरह के असम्मान की कोई जगह नहीं। बेटियां अल्लाह का दिया वरदान हैं और अल्लाह ने उनकी कद्र करने का हुक्म दिया है। गौरतलब है कि देश में मुसलमानों में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों का अनुपात वर्ष 2001 की जनगणना में 950 था, जो 2011 में घटकर 943 रह गया है।

दारुल इफ्ता से सवाल पूछा गया था कि भ्रूण खासकर बालिका भ्रूण को हटाने को लेकर इस्लाम का क्या नजरिया है और बेटियों के प्रति माता-पिता के क्या फर्ज हैं। साथ ही जो लोग अपनी बेटियों के साथ खराब बर्ताव करते हैं, उनके लिये इस्लाम में सजा का कोई प्रावधान है या नहीं।

दारुल उलूम देवबंद के मुहतमिम मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी ने कहा कि गर्भपात या भ्रूणहत्या के मसले में इदारे का यह कोई पहला फतवा नहीं है। इससे पहले इसी मामले को लेकर सैकड़ों फतवे दिये जा चुके हैं। यह फतवा उसी श्रंखला की ताजा कड़ी है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में गर्भपात तो हराम और कत्ल करने के बराबर है ही, मगर गर्भ में बेटी होने का पता लगाकर उसकी हत्या करना उससे भी बड़ा गुनाह है।

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