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हर वक्त मोदी को खलनायक की तरह पेश करने से कुछ हासिल नहीं होगा: जयराम रमेश

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन का मॉडल ‘‘पूरी तरह नकारात्मक गाथा’’ नहीं है और उनके काम के महत्व को स्वीकार नहीं करना तथा हर समय उन्हें खलनायक की तरह पेश करके कुछ हासिल नहीं होने वाला है।

Reported by: Bhasha
Published on: August 22, 2019 17:42 IST
Narendra Modi- India TV Hindi
Image Source : PTI प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल)

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन का मॉडल ‘‘पूरी तरह नकारात्मक गाथा’’ नहीं है और उनके काम के महत्व को स्वीकार नहीं करना तथा हर समय उन्हें खलनायक की तरह पेश करके कुछ हासिल नहीं होने वाला है।

रमेश ने बुधवार को कहा कि यह वक्त है कि हम मोदी के काम और 2014 से 2019 के बीच उन्होंने जो किया उसके महत्व को समझे, जिसके कारण वह सत्ता में लौटे। इसी के कारण 30 प्रतिशत मतदाताओं ने उनकी सत्ता वापसी करवाई। लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा को 37.4 प्रतिशत वोट मिले जबकि सत्तारूढ़ राजग को कुल मिलाकर 45 प्रतिशत वोट हासिल हुए। उन्होंने राजनीतिक विश्लेषक कपिल सतीश कोमीरेड्डी की किताब ‘‘मालेवॉलेंट रिपब्लिक: ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द न्यू इंडिया’’ का विमोचन करते हुए ये टिप्पणियां की।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘वह (मोदी) ऐसी भाषा में बात करते हैं जो उन्हें लोगों से जोड़ती है। जब तक हम यह न मान लें कि वह ऐसे काम कर रहे हैं जिन्हें जनता सराह रही है और जो पहले नहीं किए गए, तब तक हम इस व्यक्ति का मुकाबला नहीं कर पाएंगे।’’

उन्होंने आगाह किया, ‘‘साथ ही अगर आप हर समय उन्हें खलनायक की तरह पेश करने जा रहे हैं तो आप उनका मुकाबला नहीं कर पाएंगे।’’ मनमोहन सिंह सरकार में ग्रामीण विकास और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय संभालने वाले रमेश ने स्पष्ट किया कि वह किसी से प्रधानमंत्री की सराहना या तारीफ करने के लिए नहीं कह रहे है बल्कि चाहते हैं कि राजनीतिक वर्ग कम से कम उन बातों को माने जो वह शासन में लेकर आए खासतौर से ‘‘शासन के अर्थशास्त्र’’ के संदर्भ में।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘मैं आपको बता दूं कि जब शासन के अर्थशास्त्र की बात आती है तो यह पूरी तरह नकारात्मक गाथा नहीं है, शासन की राजनीति पूरी तरह अलग है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि उनके शासन मॉडल से जिस प्रकार के सामाजिक संबंध सृजित हुए हैं वे भी पूर्णत: भिन्न हैं। अपनी बात को साबित करने के लिए रमेश ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूजे) का उदाहरण दिया कि वह कैसे प्रधानमंत्री के लिए सफल साबित हुई।

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