कोच्चि। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अमल करते हुए पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने वालों को कड़ा संदेश देते हुए यहां झील के किनारे बने चार अवैध इमारतों को ध्वस्त करने की मुहिम रविवार को दो और इमारतों को नियंत्रित तरीके से ढहाए जाने के साथ पूरी हो गई। देश में अवैध आवासीय इमारतों के खिलाफ अपनी तरह की यह पहली मुहिम है। चारों इमारतों में करीब 350 फ्लैट थे, जो पिछले दो दिन की मुहिम के दौरान सेकंड भर में मलबे के ढेर में बदल गए।
एर्णाकुलम के जिला अधिकारी एस सुहास और कोच्चि पुलिस आयुक्त विज सखारे ने कहा कि ध्वस्त करने की मुहिम सफल रही। कोच्चि के मरादु नगरपालिका क्षेत्र में झील के किनारे स्थित इन ढांचों को गिराने में करीब 750 किलोग्राम विस्फोटक लगा। आठ महीने पहले शीर्ष अदालत ने तटीय नियमन क्षेत्र के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप में इन ढांचों को गिराने का आदेश दिया था। आस पास के लोगों को वहां से से हटा दिया गया था और किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए इमारत ध्वस्त करने से पहले खाली कराए गए जगह पर सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी गई थी।
सरकार ने यह स्पष्ट किया कि वह अदालत के आदेशों का पालन करेगी और फ्लैट मालिकों को वहां से हटाया। हालांकि फ्लैट मालिकों ने इसके खिलाफ यह कहकर प्रदर्शन किया कि उन्होंने इन फ्लैटों को खरीदने में अपनी जीवन भर की कमाई लगा दी। उच्चतम न्यायालय ने फ्लैट मालिकों को 25-25 लाख रुपये की अंतरिम क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया। इमारत ध्वस्त किए जाने से पहले एक फ्लैट मालिक ने कहा, ‘‘राज्य ने अपने नागरिकों के प्रति अन्याय किया है। इस हालात के लिए सरकार जिम्मेदार है।’’
55 मीटर ऊंची ‘‘गोल्डन कायालोरम’’ का निर्माण तटीय नियमन क्षेत्र के प्रावधानों का उल्लंघन कर किया गया था। यह इमारत चारों अवैध अपार्टमेंट में सबसे छोटी थी जिसे दोपहर करीब ढाई बजे ध्वस्त किया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कुछ तकनीकी कारणों से इस कार्य में करीब आधे घंटे की देरी हुई। इससे पहले सुबह 11 बजकर तीन मिनट पर जैन कोरल कोव को ध्वस्त किया गया, जिसकी ऊंचाई भी 55 मीटर थी। शनिवार को दो इमारतों एच2ओ होली फेथ और अल्फा सिरीन के ट्विन टावरों को ध्वस्त किया गया था।
इससे पहले इमारत के दो सौ मीटर के इलाके में चारों तरफ से लोगों को हटा लिया गया था और सभी प्रकार के यातायात की आवाजाही रोक दी गई थी। देखते ही देखते कंक्रीट की इमारत कुछ सेकंड में ही भरभरा कर गिर गई और आस पास धुंए का गुबार छा गया। खाली कराए गए क्षेत्र के बाहर काफी संख्या में लोग अपने-अपने घरों की छतों और ऊंचाई वाले जगहों से इस दृश्य के गवाह बने। पुलिस और जिले के अधिकारी लगातार सतर्कता बनाए हुए थे।
सुहास ने रविवार को इमारत ध्वस्त होने के बाद नगर पुलिस आयुक्त विजय सखारे के साथ घटनास्थल का दौरा करने के बाद कहा, ‘‘यह बहुत नियंत्रित तरीके से किया गया। झील में एक भी मलबा नहीं गिरा।’’ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘यह बहुत बड़ी सफलता है। ध्वस्त किए गए इमारत के पास की कोई इमारत क्षतिग्रस्त नहीं हुई और इसमें कोई हताहत नहीं हुआ तथा न ही किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचा।’’ सुहास ने कहा कि गोल्डन कायालोरम को ध्वस्त करना सबसे कठिन कार्य था क्योंकि उसके पास एक आंगनवाड़ी थी लेकिन आखिर में सबकुछ सफलतापूर्वक हो गया।
उन्होंने इस कार्य में शामिल कंपनियों की सराहना करते हुए कहा, ‘‘विस्फोट से किसी भी इमारत की एक खिड़की तक नहीं टूटी। तकनीकी विशेषज्ञों की सटीकता का यह स्तर था।’’ सखारे ने कहा कि यह टीम कार्य की सफलता है, उन्होंने अपने दो कनिष्ठ अधिकारियों सब कलेक्टर एवं ध्वस्त मुहिम के लिए नोडल अधिकारी स्नेहिल कुमार सिंह और योजना के क्रियान्वयन एवं संचालन के लिए पुलिस उपायुक्त जी पूनकुझाली की प्रशंसा की। मुंबई स्थित एडिफिसीज इंजीनियरिंग ने दक्षिण अफ्रीका स्थित जेट डिमोलेशन कंपनी के विशेषज्ञों की मदद से इसे गिराया गया।