Friday, November 22, 2024
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स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी, 'कोरोना का डेल्टा+ वेरिएंट बन सकता है चुनौती', कहा- यह 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' है

स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के नए डेल्टा+ वेरिएंट को चिंताजनक बताया है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: June 22, 2021 22:49 IST
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Image Source : PTI स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी, 'कोरोना का डेल्टा+ वेरिएंट बन सकता है चुनौती', कहा- यह 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' है

नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के नए डेल्टा+ वेरिएंट को चिंताजनक बताया है। मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) ने सूचित किया था कि डेल्टा प्लस वेरिएंट, "वैरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC)" है, जिसमें तेजी से प्रसार, फेफड़े की कोशिकाओं के रिसेप्टर से मजबूती से चिपकने और ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी’ प्रतिक्रिया में संभावित कमी जैसी विशेषताएं हैं।

मंत्रालय ने बताया कि भारत में डेल्टा+ वेरिएंट के अब तक 22 मामलों का पता चला है। इनमें से महाराष्ट्र के रत्नागिरि, जलगांव से 16 और मध्य प्रदेश तथा केरल से शेष मामले सामने आये हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत उन दस देशों में से एक है, जहां अब तक ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप मिला है। उन्होंने कहा कि 80 देशों में ‘डेल्टा स्वरूप’ का पता चला है। कोरोना वायरस का ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप भारत के अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, जापान, पोलैंड, नेपाल, चीन और रूस में मिला है। 

भूषण ने कहा कि वहीं ‘डेल्टा’ स्वरूप भारत सहित दुनियाभर के 80 देशों में पाया गया है और यह एक चिंताजनक स्वरूप है। ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप के मामले महाराष्ट्र के रत्नागिरि और जलगांव तथा केरल और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में मिले हैं। उन्होंने कहा, "भारत के अतिरिक्त नौ और देशों में डेल्टा प्लस स्वरूप का पता चला है। भारत में डेल्टा प्लस के 22 मामले पाए गए हैं और यह अभी तक चिंताजनक स्वरूप की श्रेणी में नहीं है।"

भूषण ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया के बारे में एक परामर्श जारी किया है कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल को इस मुद्दे पर पहल की शुरुआत करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अभी संख्या के लिहाज से यह काफी छोटा दिखता है और हम नहीं चाहते कि इसमें वृद्धि हो।’’ भूषण ने कहा कि आईएनएसएसीओजी की 28 प्रयोगशालाएं हैं और उन्होंने 45,000 नमूनों का अनुक्रमण किया है। इनमें से डेल्टा प्लस स्वरूप के 22 मामले सामने आए। 

भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का एक समूह है जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गठित किया है। आईएनएसएसीओजी वायरस के नए स्वरूप तथा महामारी के साथ उनके संबंधों का पता लगा रहा है। भूषण ने कहा कि मोटे तौर पर, दोनों भारतीय टीके (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) डेल्टा स्वरूप के खिलाफ प्रभावी हैं, लेकिन वे किस हद तक और किस अनुपात में एंटीबॉडी बना पाते हैं, इसकी जानकारी बहुत जल्द साझा की जाएगी। 

देश में महामारी की समग्र स्थिति पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा कि महामारी की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है, लेकिन उन्होंने जोर दिया कि लोगों को कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार का पालन जारी रखना चाहिए और भीड़ तथा पार्टियों से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि टीकाकरण की संख्या बढ़ानी होगी। 

उन्होंने कहा कि 100 से अधिक दैनिक मामलों वाले जिलों की संख्या 531 (20 मई को समाप्त सप्ताह में) से घटकर 135 रह गयी गई है, जो आश्वस्त करने वाली है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन प्रतिबंधों में ढील से हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है।’’ भूषण ने कहा कि सात मई को सामने आए अधिकतम मामलों की तुलना में अब करीब 90 प्रतिशत की गिरावट आई है।

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