नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बारिश के बाद प्रदूषण से मिली कुछ राहत के बाद शहर की वायु गुणवत्ता फिर से बिगड़कर ‘खराब’ और ‘अत्यंत खराब’ श्रेणी के बीच पहुंच गई है। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाये जाने और बारिश से पैदा नमी के कारण हवा में प्रदूषक तत्वों को धारण करने की क्षमता बढ़ने के कारण भी उसकी गुणवत्ता खराब हुई है।
केंद्र सरकार द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली (सफर) ने कहा कि वायु प्रदूषण फिर बढ़ रहा है। बारिश का प्रभाव खत्म होने के बाद हवा की गुणवत्ता फिर से खराब हो रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 'अत्यंत खराब’ श्रेणी में प्रवेश कर रहा है। समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 309 दर्ज किया गया जो ‘अत्यंत खराब’ श्रेणी में आता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के डेटा में समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 258 बताया गया है, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डेटा के मुताबिक, शनिवार को हवा में अति सूक्ष्म कणों -पीएम 2.5 का स्तर 122 दर्ज किया गया जबकि पीएम 10 का स्तर 228 रहा। अति सूक्ष्म कण पीएम 2.5 का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम होता है।
सफर ने बताया कि बारिश में प्रदूषक तत्वों के बह जाने से बुधवार और बृहस्पतिवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता में महत्त्वपूर्ण सुधार देखा गया। लेकिन बारिश खत्म होते ही हवा में प्रदूषक तत्त्वों को धारण करने की क्षमता बढ़ने के कारण शुक्रवार को प्रदूषण स्तर फिर से बढ़ गया। सफर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि हवा की गति तेज है लेकिन नमी के कारण हवा की प्रदूषक तत्त्वों को धारण करने की क्षमता भी अधिक है, जो प्रतिकूल व नुकसानदेह है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में पराली जलाए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसका दिल्ली के प्रदूषण में 8 से 10 प्रतिशत तक का योगदान है। वायु गुणवत्ता सूचकांक में शून्य से 50 अंक तक हवा की गुणवत्ता को ‘‘अच्छा’’, 51 से 100 तक ‘‘संतोषजनक’’, 101 से 200 तक ‘‘मध्यम व सामान्य’’, 201 से 300 के स्तर को ‘‘खराब’’, 301 से 400 के स्तर को ‘‘अत्यंत खराब’’ और 401 से 500 के स्तर को ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में रखा जाता है। सीपीसीबी के डेटा के मुताबिक, दिल्ली के तीन इलाकों में हवा की गुणवत्ता ‘अत्यंत खराब’ जबकि 31 इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘खराब’ दर्ज किया गया।