नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में दंगों की जिस तरह के दृश्य सामने आए उससे यह साबित होता है कि दिल्ली का दंगा प्री प्लांड था। दंगे के लिए तैयारियां काफी पहले से की गई थीं और वक्त भी पहले से चुना गया था जो प्रेसीडेंट ट्रंप के दौरे से मेल खाता था। इंडिया टीवी को मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली में दंगा करने वाले लोग बाहर से पूरी तैयारी के साथ आए थे। ये लोग कई दिनों से दिल्ली आकर ये लोग दंगे का सामान इक्कठा कर रहे थे। दो बड़े गैंग जो क्राइम के एक्सपर्ट हैं वे दिल्ली में थे। उनके पास बड़ी संख्या में देसी पिस्तौलें थी। उन्होंने पेट्रोल बम बनाए ताकि बड़ी संख्या में लोग मारे जाएं।
जिस तरह की तैयारियां की गई थी उस हिसाब से दंगा और बड़ा होना था। लेकिन जब NSA अजीत डोभाल मैदान में उतरे तो इन गैंग्स के दिल में डर बैठ गया। दंगा करने वालों को पता चला कि अब कोई बड़ा एक्शन हो सकता है इसीलिए दंगा करने वाले दिल्ली से भाग गए। जांच एजेंसियों को इस बात के सबूत मिले हैं कि दिल्ली पुलिस के जवान पर बंदूक तानने वाला शाहरूख नाम का शख्स भी दिल्ली के बाहर से आए दंगाइयों के साथ ही भागा है। उसके ठिकानों के बारे में एजेंसियों को कुछ सुराग मिले हैं। इसके आलावा दिल्ली के आसपास के राज्यों में भी जांच एजेंसियों की नजर है।
दिल्ली में सबसे ज्यादा दंगा शिव विहार, ब्रह्मपुरी, मौजपुर, जाफराबाद और चांदबाग इलाकों में हुआ। शिव विहार से लगा हुआ इलाका है चमन पार्क। चमनपार्क में मुस्लिम इलाके के बीच एक मंदिर है जिसके आसपास हिन्दू रहते हैं। इस इलाके में मुसलमानों ने एक मंदिर को दंगाइयों के हमले से बचाया। मुसलमानों ने रात के वक्त भी मंदिर के बाहर पहरेदारी की। इस इलाके के बुजुर्ग शकील अहमद ने कहा कि एक भी दंगाई इलाके का नहीं था। सब बाहर से आए थे।
ब्रह्मपुरी, मौजपुर और चांदपुर के लोगों का भी यही कहना है कि दंगाई उनके मोहल्ले के नहीं थे। बाहर से आए लोगों ने हिंसा फैलायी और ये लोग किसी पेशेवर अपराधी की तरह लग रहे थे। अशोकनगर में भी लोगों ने यही बात बताई। एक बुजुर्ग ने बताया कि इलाके में हिंदू मुसलमान के बीच भाईचारा है। लोगों ने बताया कि हिंसा में स्थानीय लोग शामिल नहीं थे। दंगाई बाहर से आए थे।