नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़कने के कुछ दिन बाद दिल्ली महिला आयोग ने दो साल की बच्ची को उसके परिजनों से मिलवाया है। महिला आयोग को जब मीडिया रिपोर्ट के जरिए इस नाबालिग बच्ची के बारे में पता चला तो आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने बच्ची के परिवार का पता लगाने की जिम्मेदारी महिला पंचायत को सौंप दी। टीम को पूछताछ में पता चला कि वह नाबालिग बच्ची मुस्तफाबाद में हिंसा पीड़ितों के लिए बने एक आश्रय गृह में सुहानी (परिवर्तित नाम) नाम की महिला के साथ रही है।
टीम जब वहां पहुंची तो सुहानी ने बताया कि बच्ची उसे हिंसा के दौरान अराजक माहौल में एक मस्जिद के पास बैठी मिली थी। बच्ची बहुत रो रही थी और सदमे की हालत में थी। लिहाजा, वह उसे अपने साथ ले आई। सुहानी इस बच्ची को वापस देने के लिए तैयार नहीं थी, उसे संदेह था कि बच्ची की ठीक से देखभाल नहीं हो पाएगी।
महिला आयोग की सदस्य फिरदौस खान द्वारा यह समझाए जाने पर कि बच्ची के परिवार को ढूंढकर उन्हें बच्ची सुपुर्द की जाएगी, तब जाकर सुहानी बच्ची को लौटाने को राजी हुई।
आयोग ने पुलिस के साथ संयुक्त अभियान चलाया। काफी खोजबीन और मस्जिदों में घोषणाएं कराने के बाद बच्ची के परिजनों का पता चल गया। बच्ची के दादा ने बताया कि जब हिंसा भड़की, तब बच्ची उन्हीं के साथ थी। भगदड़ और अराजकता के माहौल में वह उनसे बिछुड़कर लापता हो गई थी। परिवार तीन दिन से उसकी तलाश कर रहा था।
बच्ची के पिता को पुलिस स्टेशन बुलाया गया, उसने उस बच्ची के पिता होने संबंधी सारे सुबूत दिखाए। इसके बाद कागजी कार्रवाई कर बच्ची को उन्हें सौंपा गया। स्वाति मालीवाल ने एक प्रेस बयान में कहा, "हमें खुशी है कि बच्ची को उसका परिवार मिल गया। इस अभियान के दौरान एक महिला सबिता आनंद ने बच्ची को गोद लेने की इच्छा भी जताई थी।"