नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को दिल्ली में हवा की गुणवत्ता 'खतरनाक' स्तर तक बढ़ने के लिए पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया और पड़ोसी राज्यों हरियाणा एवं पंजाब से इस समस्या का हल ढूंढने के लिए दिल्ली के साथ मिलकर काम करने को कहा। केजरीवाल ने बुधवार को हरियाणा और पंजाब में अपने समकक्षों को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर बैठक के लिए कहा था। पत्र के जवाब में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिह ने ट्वीट कर इस प्रस्ताव को नकार दिया और कहा कि दिल्ली में वायु की गुणवत्ता का खराब होना अंतर-राज्यीय मामला नहीं है और इसमें केंद्र के हस्तक्षेप की जरूरत है।
केजरीवाल ने वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन का उद्घाटन करने के बाद कहा, "मुझे अभी तक दोनों मुख्यमंत्रियों से मिलने का मौका नहीं मिला है।" उन्होंने कहा , "अक्टूबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक, इस एक महीने में किसान पराली जलाते हैं और इस दौरान न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरा उत्तर भारत गैस चैंबर बन जाता है। केजरीवाल ने कहा, "इस वर्ष सितंबर में, पीएम10 , 300 यूनिट और पीएम 2.5, 160 यूनिट तक दर्ज किया गया था। अब यह आंकड़ा क्रमश: 940 और 750 हो गया है। यह निश्चित ही स्थानीय कारकों से नहीं हो सकता।"
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार और नागरिक सभी एहतियात उठाने के लिए तैयार हैं लेकिन यह काफी नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा, "हम सभी (उत्तर भारतीय राज्यों) को राजनीति को एक तरफ रखना चाहिए और प्रदूषण की इस भयानक समस्या को मिलकर सुलझाना चाहिए।" फसल जलाने के लिए समाधान के बारे में उन्होंने कहा किसानों द्वारा पराली जलाने पर उनके साथ जबरदस्ती या उनपर जुर्माना नहीं लगाना चाहिए बल्कि इसके बदले उन्हें किफायती विकल्प मुहैया कराना चाहिए।
केजरीवाल ने कहा, "किसानों को पराली को जलाना आसान तरीका लगता है। उन्हें बेहतर विकल्प मुहैया कराने की जरूरत है। वे लोग पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अधिक जुर्माना लगाकर उन्हें मुश्किल में नहीं डालना चाहिए।" उन्होंने बताया कि भारतीय मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार, हवा की गति में बदलाव होगा जिससे वायु गुणवत्ता अच्छी होगी।