Friday, November 22, 2024
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दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में, सप्ताहांत तक गिरावट की आशंका

 राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को वायु गुणवत्ता ‘‘खराब’’ और ‘‘बहुत खराब’’ के बीच रही और बदलते मौसम एवं बड़े स्तर पर पराली जलाने के सप्ताहांत तक इसमें भारी गिरावट की आशंका है। 

Reported by: Bhasha
Published on: October 18, 2019 23:17 IST
Delhi Air Pollution File Photo- India TV Hindi
Delhi Air Pollution File Photo

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को वायु गुणवत्ता ‘‘खराब’’ और ‘‘बहुत खराब’’ के बीच रही और बदलते मौसम एवं बड़े स्तर पर पराली जलाने के सप्ताहांत तक इसमें भारी गिरावट की आशंका है। शुक्रवार को सुबह नौ बजे दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 306 रहा। उसमें 64 अंक का सुधार हुआ और रात नौ बजे यह 249 दर्ज किया गया। 

दिन के प्रारंभ होने पर दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में वायु गुणवत्ता सूचकांक 312, द्वारका सेक्टर आठ में 316, नरेला में 310, वजीरपुर में 312 और बवाना में 341 रहा। शाम में केवल बवाना में वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत खराब (320) रहा। एक्यूआई शून्य से 50 के बीच होने पर ‘अच्छा’ होता है, जबकि 51 से 100 के बीच होने पर ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर’ समझा जाता है। 

केंद्र द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली और अनुसंधान (सफर) ने कहा, ‘‘ पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव में सतह के करीब हवा की गति तेज हुई । हवा में तेजी से वायु की गुणवत्ता में सुधार आया।’’ उसने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘ ये स्थिति कल तक जारी रह सकती है और ऐसे में पराली जलाने में तेजी के बावजूद शनिवार को वायु की गुणवत्ता में आंशिक गिरावट ही आने का अनुमान है।’’ लेकिन उसने कहा कि लेकिन 20 अक्टूबर तक हवा की रफ्तार और दिशा क्रमश: औसत एवं पश्चिमोत्तर हो जाएगी तथा दिल्ली में भी सतह के करीब हवा धीमी हो जाएगी। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऐसी स्थिति में वायु की गुणवत्ता बहुत खराब के मध्य में रहने का अनुमान है। दिल्ली के वातावरण में शुक्रवार को पीएम2.5 सांद्रता में पराली जलाने की भागीदारी 7 प्रतिशत हो गयी। 

सफर के आंकड़ों के मुताबिक, शनिवार को यह 17 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है। पंजाब और आसपास के राज्यों में 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच पराली जलाने की अधिकतम घटनाएं होती हैं। यह दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर प्रतिबंध के बावजूद, वित्तीय प्रोत्साहन के अभाव में किसान ऐसा कर रहे हैं। राज्य सरकारें किसानों और सहकारी समितियों को पराली के उचित प्रबंधन के लिए आधुनिक कृषि उपकरण खरीदने और पराली जलाने के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने के लिए 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर रही हैं। दिल्ली सरकार ने बार-बार जोर दिया है कि दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता का प्रमुख कारण पराली जलाना था। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण ने कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम और स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकी है। 

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