नयी दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए आज से क्रमिक कार्रवाई कार्ययोजना (जीआरएपी) प्रभाव में आ गई और स्थिति के हिसाब से निजी वाहनों को निरुत्साहित करने, डीजल जेनरेटरों के इस्तेमाल पर रोक, ईंट के भट्टे और स्टोन क्रशर बंद करने जैसे कठोर कदम उठाये गए हैं। इसके तहत पहली बार दिल्ली के अलावा एनसीआर के शहरों में भी डीजल जेनरेटरों पर रोक लगेगी।
पिछले दो साल से एनसीआर को इस नियम से छूट मिल रही थी, लेकिन इस बार इन्वायरमेंट पलूशन प्रिवेंशन ऐंड कंट्रोल अथॉरिटी (ईपीसीए) सख्त रुख अपनाए हुए है। हालांकि, अब भी एनसीआर के शहर पूरी तैयारी न होने की बात कहकर नियम में छूट की मांग कर रहे हैं। ईपीसीए को गौतमबुद्ध नगर, गुरुग्राम से लेटर मिले हैं, जिसमें कहा गया है कि वे इस समय डीजल जेनरेटरों पर रोक नहीं लगा सकते।
गौरतलब है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता सर्दियों से पहले बिगड़ने लगी है। रविवार को यह वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 अंक के पार जाने के साथ बहुत खराब हो गयी थी। हालांकि सोमवार को उसमें 50 अंक का सुधार आया लेकिन स्थिति पिछले 24 घंटे के अंदर खराब और बहुत खराब के बीच बनी हुई है।
केंद्र संचालित वायु गुणवत्ता तथा मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर) का कहना है कि दिल्ली में 15 अक्टूबर को पीएम 2.5 सांद्रता में बायोमास जलाये जाने का नौ फीसद योगदान रहने की संभावना है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जीआरएपी तैयार की थी और उसे 2017 में पहली बार लागू किया गया था।
जीआरएपी में वायु प्रदूषण कम करने के लिए स्थिति के हिसाब से कई उपायों का उल्लेख है। इस साल जीआरएपी के तहत चार नवंबर से दिल्ली सरकार की वाहनों की सम-विषम योजना शुरू होगी तथा एनसीआर के गुड़गांव, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत, बहादुरगढ़ शहरों में डीजल जेनरेटों पर पाबंदी लगा दी गई है।