नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय को आज जानकारी दी गई कि लापता लोगों को खोजने के लिए पुलिस द्वारा प्रयुक्त चेहरा पहचानने वाले सॉफ्टवेयर की सटीकता केवल दो प्रतिशत है और ‘‘यह अच्छा नहीं है।’’
दिल्ली पुलिस के वकील राहुल मेहरा ने न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ के सामने यह बात उस समय कही जब अदालत ने यहां अवैध प्लेसमेंट एजेंसी से लापता हुईं कुछ महिलाओं को खोजने के लिए चेहरा पहचानने वाले सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल का सुझाव दिया। इस एजेंसी ने इन महिलाओं को बंधुआ मजदूर के रूप में काम पर रखा था।
मेहरा ने अदालत को बताया,‘‘सॉफ्टवेयर अच्छा नहीं है। इसकी सटीकता केवल दो प्रतिशत है।’’ यह अदालत एक लापता महिला के भाई द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
दिल्ली पुलिस की स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, राजस्व एवं पुलिस अधिकारियों की संयुक्त टीम ने पिछले साल अगस्त में प्लेसमेंट एजेंसी पर छापा मारा था और पांच नाबालिग सहित दस लोगों को वहां से बचाया था। इस मामले में एक दंपति और एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने अदालत को बताया कि जांच के दौरान यह पता चला कि देश के विभिन्न भागों से यहां आई आठ महिलाएं अब भी लापता हैं। संक्षिप्त सुनवाई के बाद पीठ ने मामले को एक अन्य पीठ के सामने स्थानान्तरित कर दिया जो इसी तरह के मामले से निपट रही है।