Highlights
- केंद्र ने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के बजाय आवागमन के लिए कारपूलिंग का सहारा लेने की सलाह दी
- सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण के मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को लगाई फटकार
- वाहनों का आवागमन रोके जाने से दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार की दिशा में अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा-केंद्र
नई दिल्ली: दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज भी जारी है। आज सुनवाई शुरू होने से पहले केंद्र ने एक हलफनामा दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के बजाय दिल्ली में अपने कर्मचारियों को आवागमन के लिए कारपूलिंग का सहारा लेने की सलाह दी है। इसके साथ ही केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा उपयोग किए जाने वाले वाहनों की संख्या राष्ट्रीय राजधानी में कुल वाहनों का एक छोटा हिस्सा है और उनके रोके जाने से दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार की दिशा में अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
इस बीच वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने मंगलवार देर रात निर्देश दिया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान अगले आदेश तक बंद रहेंगे और केवल ऑनलाइन शिक्षा की अनुमति होगी। आयोग ने निर्देश दिए कि दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित 11 ताप विद्युत संयंत्रों में से केवल पांच - एनटीपीसी, झज्जर, महात्मा गांधी टीपीएस, सीएलपी झज्जर, पानीपत टीपीएस, एचपीजीसीएल, नाभा पावर लिमिटेड टीपीएस, राजपुरा और तलवंडी साबो टीपीएस, मानसा 30 नवंबर तक चालू रहेंगे।
आयोग ने दिल्ली और एनसीआर में आने वाले राज्यों को 21 नवंबर तक क्षेत्र में ‘सीएंडडी’ अपशिष्ट प्रबंधन नियमों और धूल नियंत्रण मानदंडों के सख्त अनुपालन के साथ ‘‘रेलवे सेवाओं या रेलवे स्टेशनों, मेट्रो रेल निगम सेवाओं, स्टेशनों, हवाई अड्डों और अंतर-राज्यीय बस टर्मिनलों (आईएसबीटीएस) सहित और राष्ट्रीय सुरक्षा अथवा रक्षा संबंधी गतिविधियों अथवा राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं’’ को छोड़कर निर्माण और तोड़-फोड़ संबंधी सभी गतिविधियों को रोकने का निर्देश दिया है। वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने के लिए गैरजरूरी सामान ले जाने वाले ट्रकों का प्रवेश रविवार तक दिल्ली में प्रतिबंधित कर दिया गया है।