नई दिल्ली: आज से दिल्ली मेट्रो का सफर महंगा हो गया है। डीएमआरसी ने मेट्रो के किराए में इज़ाफे का ऐलान कर दिया है जिसके बाद आपको अलग-अलग दूरी के हिसाब से बढ़ा हुआ किराया चुकाना होगा। सोमवार रात डीएमआरसी ने दिल्ली सरकार के हर फॉर्मूले को ठुकराते हुए मेट्रो का किराया बढ़ाने का ऐलान कर दिया। दिल्ली मेट्रो बोर्ड ने साफ़ कर दिया कि किराया बढ़ोतरी टालने का अधिकार उनके पास नहीं है और वो किराया तय करने वाली कमेटी का फैसला मानने को मजबूर हैं। ये भी पढ़ें: महिलाओं को प्रसाद के तौर पर गाली देता है यह सीटीबाज बाबा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विरोध को देखते हुए सोमवार रात क़रीब आठ बजे डीएमआरसी की बैठक हुई लेकिन आखिर में मेट्रो का किराया बढ़ाने का ही फैसला किया गया। नए फैसले के मुताबिक़ अब मेट्रो के मुसाफिरों को न्यूनतम किराए के तौर पर तो 10 रुपए ही देने होंगे लेकिन अधिकतम किराया अब 50 की जगह 60 रुपए होगा।
-यात्रियों को 2 किमी. तक के लिए अब 10 रुपए देने होंगे
-2 से 5 किमी. तक के लिए अब 15 की जगह 20 रुपये
-5 से 12 किमी. तक के लिए 20 की जगह 30 रुपये
-12 से 21 किमी. के लिए 30 की जगह 40 रुपये
-21 से 32 किमी. के लिए 40 की जगह 50 रुपये
-32 किलोमीटर से ज़्यादा की यात्रा के लिए 60 रुपये देने होंगे
वहीं स्मार्ट कार्ड का इस्तेमाल करने वाले यात्रियों को पहले की तरह 10 फीसदी की छूट मिलेगी। स्मार्ट कार्ड यूज़र्स को सुबह 8 बजे तक, दोपहर को 12 बजे से 5 बजे के बीच और रात को 9 बजे से मेट्रो सेवाएं ख़त्म होने तक 10 फीसदी की अतिरिक्त छूट मिलेगी। इसके अलावा रविवार और राष्ट्रीय अवकाश वाले दिन यात्रियों को अधिकतम किराया 50 रुपये ही देना होगा।
एक ओर पब्लिक परेशान है तो दूसरी ओर मेट्रो पर सियासी महाभारत भी छिड़ी है। मेट्रो का किराया कम करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र को 50-50 फॉर्मूला दिया था। सुझाव था कि मेट्रो के 3000 करोड़ के नुकसान का आधा खर्च केंद्र उठाए जबकि आधा दिल्ली सरकार लेकिन भाजपा केजरीवाल की इन सारी कोशिशों को महज़ दिखावा बता रही है।
फेयर फिक्सेशन कमेटी यानी FFC ने मई 2017 में ही मेट्रो का किराया बढ़ाने का फैसला कर लिया था। 10 मई को 51 फीसदी किराया बढ़ाया गया जबकि अब 27 फीसदी बढ़ाया गया है। भाजपा ने सवाल उठाए कि किराया निर्धारण समिति के 3 सदस्यों में एक दिल्ली सरकार का मुख्य सचिव भी है। ऐसे में उसने उसी वक्त किराए को लेकर विरोध क्यों नहीं किया। दूसरी ओर किराया बढ़ने के बाद केजरीवाल ने केंद्र पर फिर हमला बोला है।