नई दिल्ली: दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार में 11 लोगों की संदिग्ध मौत की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। रजिस्टर में लिखी तंत्र-मंत्र और मोक्ष की बातें लेकिन इन सबके बीच पूरा मामला अब 11 नंबर के फेर में फंस गया है। इस सामूहिक खुदकुशी के मामले में 11 नंबर बेहद अहम हो गया है। दिल्ली के संतनगर के मकान नंबर 137/5 में रहस्यमयी तरीके से हुए आत्महत्या कांड में मृत मिले सभी 11 शवों का अंतिम संस्कार तो कर दिया गया है लेकिन इस सनसनीखेज घटना की जांच अब 11 नंबर के इर्द-गिर्द अटक गई है। जांच में इस घर से हर चीज 11 नंबर में ही मिल रही हैं चाहें वो शव हों, दीवार पर पाइप हो या फिर खाने की 11 थालियां।
दिल्ली के जिस घर की पहली मंजिल पर बने कमरों से 11 लाशें निकली उन्हीं में से एक कमरे की दीवार से निकली इन 11 पाइपों ने मौत की मिस्ट्री को पहले ही गहरा दिया है। हर कोई पूछ रहा है कि आखिर इन 11 पाइपों का राज़ क्या है। घर की दीवार पर लगी ये पाइप कुछ अजीब सी दिखती हैं। 11 पाइपों में 7 पाइप नीचे की तरफ मुड़े हैं जबकि चार पाइप सीधे निकले हैं। सवाल ये है कि आखिर सीधे और नीचे की तरफ मुड़े पाइप की मिस्ट्री क्या है। कुछ लोग इसे भाटिया परिवार की फैमिली ट्री के तौर पर बता रहे हैं। भाटिया परिवार में कुल 11 सदस्य हैं और घर की दीवार पर पाइप भी 11 लगी हैं। 11 पाइप में चार सीधी पाइप हैं, परिवार में 4 ही पुरुष हैं। 11 पाइप में सात पाइप मुड़ी हुई हैं, आत्महत्या करने वाले इस इस परिवार में 7 ही महिलाएं थीं।
जांच में 11 नंबर की कुछ और चीजें भी सामने आईं हैं। मसलन पुलिस सूत्रों के मुताबिक घटना वाली रात यानी शनिवार और रविवार की दरमयानी रात को घर में खाना नहीं बना था। घर के 11 सदस्यों के लिए होटल से बीस रोटियां मंगाई गईं थीं। घरवालों ने खाने के लिए कोई सब्जी नहीं मंगाई थी। बताया ये जा रहा है कि इन बीस रोटियों को परोसने के लिए घर में रखीं 11 थालियां निकालीं गईं थी। हालांकि घटना वाली रात परिवार के ज्यादातर सदस्यों ने खाना नहीं खाया था। सवाल ये है कि आखिर 11 लोगों की मौत के पीछे इस 11 नंबर की मिस्ट्री क्या है? कुछ लोग इसे अंधविश्वास से जोड़कर देख रहे हैं क्योंकि घर में कुल 11 लोगों की मौत हुई थी और घर में हर चीज 11-11 ही मिल रही हैं।
कोई यकीन नहीं कर पा रहा है कि दिल्ली जैसे शहर में भी कोई परिवार इस तरह अंधविश्वास में जकड़ सकता है जो एक साथ 11 के 11 मेंबर अपनी जान दे सकते हैं लेकिन यहां सवाल ये है कि आखिर परिवार के सदस्यों को ऐसा करने के लिए किसने उकसाया। कौन है वो जिसके कहने पर पूरा परिवार खुशी-खुशी जान देने को तैयार हो गया। खुशी-खुशी इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहीं भी किसी के शरीर पर जोर-जबरदस्ती के निशान नहीं मिले हैं। यानी हर कोई चुपचाप बिना कोई विरोध किए फांसी के फंदे पर झूल गया था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक जांच में अब तक जो सामने आया है उसके मुताबिक परिवार की मुखिया नारायणी भाटिया का छोटा बेटा यानी ललित भाटिया इस पूरे आत्महत्याकांड का सूत्रधार हो सकता है क्योंकि इस घर जो रजिस्टर मिले हैं उनमें ललित की ही हैंडराइटिंग में रहस्यमयी बातें लिखीं गईं हैं और खास बात ये है कि रजिस्टर में जिस तरह से जो बातें लिखी गईं थीं शनिवार और रविवार की रात को ठीक उसी हालात में इस आत्महत्याकांड को अंजाम दिया गया था। ललित ने पिछले दिनों ही अपने घर का करीब बीस लाख रुपये खर्च कर कायाकल्प कराया था। बताया ये जा रहा है कि इस कायाकल्प के तहत ही ललित ने अपने घर में सबकुछ 11 नंबर का करने की शुरुआत की थी।
मिस्त्री के तमाम विरोध के बावजूद ललित ने घर के एक कमरे की दीवार पर 11 पाइप लगवाए। जब लोहे का दरवाजा लगाया गया तो उसके ग्रिल में 11 रॉड्स लगवाए, घर में 11 स्टूल्स बनवाए गए जिनका इस्तेमाल खुदकुशी करने के लिए किया गया। घर में खाने के लिए 11 थालियां खरीदी गईं। अभी तक की जांच में पुलिस को घर से 2 रजिस्टर मिले हैं लेकिन चूंकि ललित ये रजिस्टर साल 2015 से लिख रहा है ऐस में संभव है कि रजिस्टर की संख्या भी 11 हों और आगे की जांच में बाकी नौ रजिस्टर भी पुलिस के हाथ लग जाए जिससे इस आत्महत्याकांड के कुछ दूसरे रहस्यों से भी पर्दा उठ जाए।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक ललित भाटिया जो कुछ भी कर रहा था वो अपनी मर्जी से नहीं कर रहा था वो किसी के कहने पर रजिस्टर में ऐसी बातें लिखता था और फिर उसे अपने परिवार के सदस्यों को उसे फॉलो करने को कहता था। ललित के लिखे रजिस्टर की स्टडी करने वाले पुलिस अधिकारी की मानें तो संभव है ऐसा वो अपने पिता गोपाल दास भाटिया के कहने पर कर रहा था। इस परिवार के मुखिया गोपाल दास भाटिया की करीब दस साल पहले मौत हो चुकी थी लेकिन ललित को ऐसा लगता था कि उसके पिता उसे उसके माध्यम से परिवार को निर्देश देते रहते हैं। वो सपने में अपने पिता से मिलने की भी करता था।
रजिस्टर में एक जगह तो ललित ने अपने पिता गोपाल भाटिया से पूरे परिवार की मुलाकात कराने की बात भी लिखी थी। इस क्रिया के आखिरी पलों में पिताजी आएंगे और सबको बचा लेंगे। अंतिम समय में, आखिरी इच्छा की पूर्ति के वक्त, आसमान हिलेगा, धरती कांपेगी, उस वक्त मंत्रों का जाप बढ़ा देना। मैं आकर तुमको और औरों को उतार लूंगा। ललित की चिंता मत करो तुमलोग, मैं जब आता हूं तो ये थोड़ा परेशान हो जाता है। यानी घर के लोगों को ललित ने ये यकीन दिला दिया था कि उन्हें कुछ नहीं होगा, सब के सब बच जाएंगे। पिता जी आकर बचा लेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ललित ने रजिस्टर के अगले पन्ने पर लिखा था, मैं कल या परसो आउंगा, नहीं आ पाया तो फिर बाद में आउंगा।
इसी तरह रजिस्टर के एक और पेज पर परिवार को नारायणी यानी सबसे बुजुर्ग सदस्य की देखभाल की बात लिखी गई थी। तुमलोग नारायणी का ठीक तरह से ख्याल रखना। रजिस्टर में जो बातें लिखी हुईं मिली हैं घटना करीब-करीब उसी तरह घटी है। जाहिर है परिवार के लोग रजिस्टर में लिखी बातों को आंख मूंद कर मान रहे थे। रजिस्टर में लिखी आखिरी कुछ लाइनों में से एक में लिखा था, मां सबको रोटी खिलाएंगी। घटना वाले दिन रात में होटल से 20 रोटियां मंगाई गई थी। डेलिवरी बॉय ने 10 बजकर 40 मिनट पर घर पर खना डेलिवर किया था। पुलिस को घर से होटल के बिल और सूखी रोटियां मिली हैं। रोटी तो किसी ने नहीं खाई लेकिन अंधविश्वास के चक्कर में एक पढ़ा-लिखा पूरा परिवार खत्म हो गया।