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'एक वयस्क महिला जहां भी और जिस किसी के साथ भी चाहे, वह रहने के लिए स्वतंत्र है'

हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि महिला सुलेखा को बबलू के साथ रहने की अनुमति दी जाए। उसके परिवार द्वारा आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि उसका अपहरण कर लिया गया था और दावा किया कि वह नाबालिग थी।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : November 26, 2020 9:33 IST
 Delhi High court says on love jihad Adult women free to live with whoever she wishes । 'एक वयस्क मह
Image Source : PTI 'एक वयस्क महिला जहां भी और जिस किसी के साथ भी चाहे, वह रहने के लिए स्वतंत्र है'  (Representational Image)

नई दिल्ली. एक वयस्क महिला जहां भी और जिस किसी के साथ भी चाहे, वह रहने के लिए स्वतंत्र है। दिल्ली हाई कोर्ट ने ये बातें एक 20 वर्षीय महिला को फिर से उसके पति के साथ मिलाते हुए कहीं। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और रजनीश भटनागर की पीठ द्वारा फैसला तब सुनाया गया जब उत्तर प्रदेश और अन्य भाजपा शासित राज्यों ने "लव जिहाद" के खिलाफ कानून बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। जिसके बाद पूरे देश में एक वयस्क के विवाह करने की स्वतंत्रता और अधिकार पर राष्ट्रव्यापी बहस छिड़ गई। 

हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि महिला सुलेखा को बबलू के साथ रहने की अनुमति दी जाए। उसके परिवार द्वारा आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि उसका अपहरण कर लिया गया था और दावा किया कि वह नाबालिग थी। वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुलेखा के साथ बातचीत करने और यह सत्यापित करने के बाद कि जब उसने घर छोड़ा था, तब एक वयस्क थी, कोर्ट ने पुलिस को उसे बबलू के घर पर छोड़ने के आदेश दिए। 

बेंच ने अपने ऑर्डर में पुलिस अधिकारियों को याचिकाकर्ता और सुलेखा के माता-पिता को यह समझाने के लिए लिए भी कहा कि वे कानून को अपने हाथ में न लें और न ही सुलेखा और बबलू को धमकी दें।

दिल्ली हाईकोर्ट का ये आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के कुछ दिन बाद आया है, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो समुदायों से संबंधित शादी के एक मामले में युवक के खिलाफ क्रिमिनल केस को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि "व्यक्तिगत संबंधों में हस्तक्षेप से दो व्यक्तियों की पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार में गंभीर अतिक्रमण होगा"।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि "अदालतें ... भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए हुक्म  देती हैं", ऐसे मामलों में मुख्य मुद्दा "दो व्यक्तियों की पसंद की स्वतंत्रता का अधिकार" है, कि वे किसके साथ रहना चाहते हैं।

इसी तरह के तर्क देते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सुलेखा ने जब अपनी मर्जी से घर छोड़ा, तब वो वयस्क और उसने अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी की। कोर्ट ने कहा, "रिपोर्ट के अनुसार, वो साल 2000 में पैदा हुई थी और इसलिए जब वो गुम हुई उस समय वो बालिग थी। उसने बताया कि वो अपनी मर्जी से बबलू के साथ गई और उसने बबलू की साथ शादी की।" अदालत ने निर्देश दिया कि क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी का मोबाइल नंबर जोड़े को जरूरत के मामले में संपर्क करने के लिए प्रदान किया जाए।

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