नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की केंद्र के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगा। केंद्र ने अपने आदेश में AJL को 15 नवंबर यानि गुरुवार तक हेराल्ड हाउस खाली करने को कहा है। न्यायमूर्ति सुनील गौर ने मामले से जुड़ी फाइल के अदालत में अबतक नहीं पहुंचने की बात कहते हुए सुनवाई स्थगित कर दी और कहा कि फाइल के अध्ययन के लिए समय की जरूरत है।
AJL ने आरोप लगाया है कि सरकार का 30 अक्टूबर का आदेश अवैध, असंवैधानिक, मनमाना और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहलाल नेहरू की विरासत को जानबूझकर बर्बाद करने की कोशिश है। AJL, नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करती है। AJL का कहना है कि आदेश राजनीति से प्रेरित है और इसका मकसद विपक्षी पार्टियों की असंतोष की आवाज को दबाना व बर्बाद करना है।
इस आदेश में शहरी विकास मंत्रालय ने AJL को दिए गए 56 साल पुराने पट्टे को खत्म कर दिया है और AJL को गुरुवार को परिसर खाली करने को कहा है। AJL ने आदेश को चुनौती देते हुए सोमवार को अदालत का दरवाजा खटखटाया।
केंद्र सरकार ने कथित तौर पर कुछ महीने पहले परिसर का निरीक्षण किया था और पाया कि AJL को आवंटित क्षेत्र का बीते 10 सालों से अखबार के प्रकाशन के लिए इस्तेमाल नहीं हो रहा है। AJL बीते कई दशकों से अखबार का प्रकाशन कर रहा है। हालांकि, वित्तीय संकट की वजह से थोड़े समय से इसका प्रकाशन रुका रहा, लेकिन औपचारिक अखबार व डिजिटल मीडिया का संचालन पूरी तरह से बहाल था।
सप्ताहिक नेशनल हेराल्ड ऑन संडे का प्रकाशन 24 सितंबर, 2017 से फिर से शुरू हो गया है और इसे हेराल्ड हाउस दिल्ली से प्रकाशित किया जा रहा है। AJL ने 14 अक्टूबर से अपने साप्ताहिक हिंदी अखबार का फिर से प्रकाशन शुरू किया।