नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने इस बात पर अपना फैसला 30 जुलाई तक सुरक्षित रख लिया है कि आईआरसीटीसी के दो होटलों के संचालन अनुबंध एक निजी कंपनी को दिए जाने में हुई कथित अनियमितता से जुड़े एक मामले में राजद सुप्रीमो एवं पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद , उनकी पत्नी राबड़ी देवी और छोटे बेटे एवं बिहार के पूर्व उप - मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आरोपियों के तौर पर तलब किया जाए कि नहीं।
विशेष जज अरविंद कुमार ने आदेश पारित करने के लिए 30 जुलाई की तारीख तब तय की जब सीबीआई ने अदालत को बताया कि उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं। सीबीआई ने इस मामले में 16 अप्रैल को आरोप - पत्र दायर किया था। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मुझे दस्तावेजों का अध्ययन करने दें। मैं सोमवार को आदेश पारित करूंगा।’’
सीबीआई ने अदालत को यह भी बताया कि रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य बी. के. अग्रवाल पर मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अधिकारियों से मंजूरी ले ली गई है। अग्रवाल आईआरसीटीसी के तत्कालीन समूह महाप्रबंधक थे। लालू प्रसाद और उनके परिजन के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेम चंद गुप्ता, उनकी पत्नी सरला गुप्ता, बी. के. अग्रवाल, आईआरसीटीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक पी. के. गोयल और आईआरसीटीसी के तत्कालीन निदेशक राकेश सक्सेना को भी आरोप-पत्र में नामजद किया गया है।
आईआरसीटीसी के तत्कालीन समूह महाप्रबंधक वी. के. अस्थाना और सुजाता होटल्स के दो निदेशक और चाणक्य होटल के मालिक - आर. के. गोयल और विनय कोचर - को भी आरोप-पत्र में नामजद किया गया है। अब लारा प्रोजेक्ट्स के नाम से जानी जा रही डिलाइट मार्केटिंग कंपनी और सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को भी आरोपी बनाया गया है।
सीबीआई ने पिछले साल जुलाई में एक केस दर्ज किया था और इस सिलसिले में पटना , रांची , भुवनेश्चर और गुरूग्राम में 12 जगहों पर छापेमारी की थी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा था कि इस मामले में आपराधिक साजिश , धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप हैं।