Friday, November 22, 2024
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दिल्ली में रह रहे कश्मीरी पत्रकार, घाटी के 25 से अधिक लोग संभावित जासूसी के निशाने पर थे: खबर

दिल्ली में रह रहे कुछ कश्मीरी पत्रकारों और कश्मीर घाटी के 25 से अधिक लोगों को 2017 और 2019 के बीच फोन टैपिंग के लिए संभावित लक्ष्य के रूप में एक अज्ञात सरकारी एजेंसी द्वारा चुना गया था, जिसे इज़राइली कंपनी एनएसओ ग्रुप का एक ग्राहक भी माना जाता है।

Reported by: Bhasha
Published on: July 24, 2021 14:59 IST
दिल्ली में रह रहे...- India TV Hindi
Image Source : IANS (REPRESENTATIONAL IMAGE) दिल्ली में रह रहे कश्मीरी पत्रकार, घाटी के 25 से अधिक लोग संभावित जासूसी के निशाने पर थे: खबर

नई दिल्ली: दिल्ली में रह रहे कुछ कश्मीरी पत्रकारों और कश्मीर घाटी के 25 से अधिक लोगों को 2017 और 2019 के बीच फोन टैपिंग के लिए संभावित लक्ष्य के रूप में एक अज्ञात सरकारी एजेंसी द्वारा चुना गया था, जिसे इज़राइली कंपनी एनएसओ ग्रुप का एक ग्राहक भी माना जाता है। न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ ने शुक्रवार को अपनी एक खबर में यह दावा किया है। खबर में कहा गया है कि इस मुद्दे पर रिपोर्टिंग करने वाले पेगासस परियोजना समूह के मीडिया भागीदारों द्वारा लीक की गई सूची में कश्मीर के कई प्रमुख अलगाववादी नेता, राजनीतिक दलों के नेता, मानवाधिकार कार्यकर्ता, पत्रकार और व्यापारी शामिल हैं।

इसमें कहा गया कि दो अलगाववादी नेता बिलाल लोन और दिवंगत एस.ए.आर.गिलानी के फोन का फोरेंसिक विश्लेषण किया गया। गिलानी ने दिल्ली विश्वविद्यालय में लेक्चरर के रूप में सेवा दी थी और 2018 में उनकी मृत्यु हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब द्वारा लोन के फोन डेटा की जांच की गई और फोरेंसिक विश्लेषण से पेगासस सॉफ्टवेयर द्वारा निशाना बनाए जाने के संकेत मिले।

इजरायली समूह एनएसओ ने जोर देकर कहा कि फ्रांसीसी गैर-लाभकारी मीडिया संगठन फॉरबिडन स्टोरीज द्वारा एक्सेस किए गए लीक डेटाबेस का इससे या उसके सॉफ्टवेयर पेगासस से कोई लेना-देना नहीं है, जिसका उपयोग "सरकारों" द्वारा किया जा रहा है। द वायर ने कहा कि लीक हुए डेटाबेस में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के परिवार के कम से कम दो सदस्य शामिल हैं। इसने कहा कि जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी के भाई तारिक बुखारी भी सूची में हैं, जिसमें कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के परिवार के कम से कम चार सदस्यों का नाम शामिल हैं। खबर के अनुसार, लीक से यह भी पता चलता है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के वर्तमान प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक 2017 और 2019 के बीच जासूसी के संभावित निशाने पर थे।

गौरतलब है कि रविवार को, एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह ने बताया कि स्पाइवेयर के माध्यम से हैकिंग के लिए दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, तीन विपक्षी नेताओं और एक मौजूदा न्यायाधीश, कई उद्योगपतियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक सत्यापित मोबाइल फोन नंबरों को निशाना बनाया गया होगा। हालांकि, सरकार ने इस मामले में विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।

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