नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मंगलवार को आसमान में धुआं छाया रहा और सूर्य देर से निकला तथा कई स्थानों पर हवा की गुणवत्ता बिगड़ गयी एवं ‘‘गंभीर’’ श्रेणी में पहुंच गयी। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार साढ़े बारह बजे दिन में शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 390 था जो सोमवार को रात आठ बजे के सर्वाधिक 397 एक्यूआई से कम था।
एक्यूआई गाजियाबाद में 429, ग्रेटर नोएडा में 418, और नोएडा में 427 रहा जो बहुत बुरी स्थिति है। उल्लेखनीय है कि, 0-50 के बीच एक्यूआई को ‘‘अच्छा’’ माना जाता है, जबकि 51-100 ‘‘संतोषजनक’’, 101-200 ‘‘मध्यम’’, 201-300 ‘‘खराब’’, 301-400 ‘‘बहुत खराब’’ और 401-500 ‘‘गंभीर’’ श्रेणी का माना जाता है। एक्यूआई अगर 500 से ऊपर पहुंच जाता है, तो उसे ‘‘गंभीर व आपातकालीन’’ श्रेणी का माना जाता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी सेवा, ‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली’ (सफर) के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएम 2.5 का स्तर 740 तक पहुंच गया जो 60 तक अच्छा समझे जाने वाले स्तर से कई गुणा अधिक है। शहर के अन्य क्षेत्रों की स्थिति भी कोई अच्छी नहीं रही। आंनद विहार 436 एक्यूआई के साथ राजधानी का सबसे प्रदूषित जगह थी और नेहरू नगर 430 के साथ शहर में दूसरे स्थान पर था।
दिवाली की रात के बाद दिल्ली की वायु गुणवत्ता पटाखों फोड़ने, पराली जलाने और प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियों के चलते काफी नीचे गिर गयी थी। तब से प्रदूषण स्तर बहुत खराब श्रेणी के प्रारंभिक और आखिरी बिंदु के बीच है। दिवाली की रात को बहुत सारे लोगों ने महज दो घंटे ही पटाखे फोड़ने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का खुलेआम उल्लंघन किया था। उच्चतम न्यायालय ने यह भी आदेश दिया था कि 30 फीसद कम प्रदूषण फैलाने वाले हरित पटाखे ही बनाये जाएं और फोड़े जाएं लेकिन डीपीसीसी का कहना है कि बड़ी संख्या में लोगों ने अवैध पटाखे फोड़े।
अरविंद केजरीवाल सरकार ने लोगों को पटाखे फोड़ने से दूर रखने के लिए राजी करने की कोशिश के तहत मेगा लेजर शो का आयोजन किया था। सफर ने कहा कि हवा की गति बढ़ने से प्रदूषकों को छितराने में मद मिलेगी और प्रदूषण स्तर के नीचे आने की संभावना है। भारत मौसमविज्ञान विभाग के अधिकारियों ने अगले दो दिनों में हवा की गति में वृद्धि की संभवना से इनकार किया है। तब तक स्थिति ऐसी ही बनी रहेगी।