जयपुर (राजस्थान): राजस्थान में सात वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म करने के दोषी 19 वर्षीय किशोर को शनिवार को अदालत ने मृत्युदंड सुनाया। पुलिस महानिदेशक ओ.पी. गल्होत्रा के अनुसार, राजस्थान विधानसभा में यौन उत्पीड़न के खिलाफ 21 अप्रैल को एक कड़ा कानून पारित होने के बाद यह पहला मृत्युदंड सुनाया गया है। इस कानून में 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के लिए दोषी ठहराए गए लोगों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है।
9 मई को लक्ष्मणगढ़ पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ था
गल्होत्रा ने कहा कि पिंटू नामक आरोपी को विशेष न्यायाधीश जगेंद्र अग्रवाल ने शनिवार को सजा सुनाई। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि पीड़िता के पिता ने नौ मई को लक्ष्मणगढ़ पुलिस थाने में एक मामला दर्ज कराया था।
आरोपी पिंटू बच्ची को खिलाने के बहाने लेकर गया था
पीड़िता के पिता के अनुसार, उसकी बच्ची अपनी नेत्रहीन दादी के साथ उस दिन शाम को सो रही थी, और उसी दौरान पिंटू उसे खेलाने के बहाने उठा ले गया। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था, "आधा घंटे बाद हमें फुटबाल मैदान में बच्ची के चीखने की आवाज सुनाई दी और वहां पहुंचने पर उसके शरीर से रक्त बहते पाया गया। पिंटू उसे बुरी हालत में वहां छोड़कर भाग गया था।"
27 दिनों के अंदर जांच पूरी कर मामला अदालत के समने
पिंटू को गिरफ्तार करने के तत्काल बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं और बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पोक्सो) के तहत एक मामला दर्ज किया, और 27 दिनों के भीतर जांच पूरी कर मामला अदालत के समक्ष रख दिया। अदालत ने बुधवार को आरोपी को दोषी ठहराया और शनिवार को सजा सुना दी।