मेघालय की जयंतिया पहाड़ी स्थित एक खदान में 13 दिसंबर से फंसे मजदूरों को बचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा अब तक उठाए कदमों पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मेघालय में खदान में फंसे मजदूरों के लिए प्रत्येक मिनट कीमती है। राज्य सरकार ने मजदूरों को बचाने के लिए अभी तक जो भी कदम उठाए हैं वे पूरी तरह से नाकाफी हैं। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मामले को जल्द देखने और उठाए गए कदमों से अदालत को शुक्रवार को अवगत कराने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि मेघालय में अवैध खदान में फंसे लोगों को निकालने के लिए शीघ्र, तत्काल एवं प्रभावी अभियान चलाने की जरूरत है।
खनिक 13 दिसंबर को एक खदान में नजदीकी लैतिन नदी का पानी भर जाने के बाद से अंदर फंसे हैं। ‘रैट होल’ (चूहे का बिल) कही जाने वाली यह खदान पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में पूरी तरह से पेड़ों से ढकी एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। ‘रैट होल’ खनन के तहत संकरी सुरंगें खोदी जाती हैं जो आमतौर पर तीन-चार फुट ऊंची होती हैं। खनिक इनमें घुसकर कोयला निकालते है।
याचिका में केन्द्र और राज्य सरकार को किर्लोस्कर ब्रदर्स लि सहित अन्य के पास उपलब्ध उच्च क्षमता वाले पंपों की मदद लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। किर्लोस्कर ने जून-जुलाई 2018 में रायल थाई सरकार को इन पंप की पेशकश की थी।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने मीडिया में आईं उन खबरों का खंडन किया था जिनमें उसके हवाले से कहा गया था कि खदान के भीतर से आ रही दुर्गंध के कारण यह आशंका जताई जा रही है कि वहां फंसे खनिकों की मौत हो चुकी है। उसने कहा था कि यह दुर्गंध खदान में गंदे पानी की वजह से भी हो सकती है क्योंकि पंपिंग की प्रक्रिया 48 घंटे से अधिक समय तक रुकी रही थी।
दुर्घटना में बचे एक जीवित ने शनिवार को बताया कि फंसे खनिकों के जीवित बाहर आने का कोई रास्ता नहीं है। खदान में फंसे कम से कम सात खनिकों के परिजन उनके जीवित निकलने की आस पहले ही छोड़ चुके हैं और उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि अंतिम संस्कार के लिए उनके शव बाहर निकाले जाएं।