नई दिल्ली: क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे कि एक लाश तीन दिन तक ट्रेन में सफर करे और किसी को इसकी खबर ना हो। सुनकर आप भले ही हैरान हो रहे हों लेकिन ये सच है। एक यात्री की ट्रेन में मौत हो गई और उसका शव बहत्तर घंटे तक सफर करता रहता है। ट्रेन पटना से कोटा और कोटा से पटना पहुंच जाती है लेकिन रेलवे को पता तक नहीं चलता। रेलवे की ऐसी लापरवाही आपने इससे पहले नहीं देखी होगी।
कानपुर के रहने वाले 48 साल के संजय अग्रवाल आगरा जाने के लिए 24 मई को पटना-कोटा एक्सप्रेस में सवार हुए थे। सुबह सात बजे पत्नी से बात हुई थी आखिरी बार, लेकिन उसके बाद फोन आउट ऑफ रेंज हो गया। सुबह से दोपहर, दोपहर से शाम हो गई। परिवार वाले परेशान हो गये, खोजबीन शुरू हुई तो मथुरा में ट्रेन को रोका गया। तलाशी ली गई और परिवार वालों को खबर दे दी गई कि संजय अग्रवाल ट्रेन में नहीं हैं। रेलवे की पहली लापरवाही यही थी।
परिवार वालों को संजय अग्रवाल ने बताया था कि उनके पास जनरल टिकट है, पर वो स्लीपर के एस-4 नंबर के कोच में सवार हैं लेकिन पता नहीं पुलिस वालों ने कैसे ढूंढा कि उन्हें संजय अग्रवाल नहीं मिले। ट्रेन बिहार के पटना से राजस्थान के कोटा जा रही थी। ट्रेन कोटा पहुंच गई लेकिन इसके बाद भी संजय अग्रवाल का कुछ पता नहीं चला। 72 घंटे तक ट्रेन इस शहर से उस शहर तक दौड़ती रही और परिवार वाले पागलों की तरह शहर दर शहर तलाशते रहे।
अब रेलवे की दूसरी लापरवाही देखिए। एक भी सफाई कर्मचारी बाथरुम में झांकने तक नहीं आया कि अंदर कौन है। तीन दिन तक ट्रेन चलती रही और बाथरुम को किसी ने खोला तक नहीं। तीन दिन बाद जब ट्रेन फिर से कोटा के लिए चली तो यात्रियों ने बाथरूम से बदबू की शिकायत की। जब बाथरुम खोला गया तो सबके होश उड़ गए। अंदर संजय अग्रवाल का शव पड़ा था। उनकी मौत बाथरुम में हो चुकी थी। पोस्टमॉर्मट हुआ तो पता चला मेजर हार्ट अटैक था।
अब इस खबर को पढ़ने के बाद आप सोच रहें होंगे कि क्या व्यवस्था है। क्या प्रशासन है। कैसे होती होगी ट्रेनों की सफाई। कौन है इसका जिम्मेदार। तो खबर ये है कि फिलहाल कोई सस्पेंड नहीं हुआ है, किसी से पूछताछ नहीं हो रही है। ट्रेन फिर से पटना से कोटा के लिए चल पड़ी है।