Friday, November 22, 2024
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हिंदुत्व ना तो वामपंथी है और ना ही दक्षिणपंथी, दुनिया मानवतावादी विचारों को अपना रही: दत्तात्रेय होसबले

दत्तात्रेय होसाबले ने आगे कहा कि आरएसएस में हमने अपने प्रशिक्षण शिविरों में भी कभी यह नहीं कहा कि हम दक्षिणपंथी (राइटिस्ट) हैं, हमारे कई विचार ऐसे हैं जो करीब-करीब वामपंथ के विचार होते हैं और कुछ निश्चित रूप से तथाकथित दक्षिणपंथी विचार हैं।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: October 23, 2021 15:48 IST
हिंदुत्व ना तो वामपंथी है और ना ही दक्षिणपंथी, दुनिया अपना रही है मानवतावादी विचार: दत्तात्रेय होसबल- India TV Hindi
Image Source : ANI हिंदुत्व ना तो वामपंथी है और ना ही दक्षिणपंथी, दुनिया अपना रही है मानवतावादी विचार: दत्तात्रेय होसबले

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) सह-सरकार्यवाह (संयुक्त महासचिव) दत्तात्रेय होसाबले ने शुक्रवार को कहा कि हिंदुत्व ना तो वामपंथी है और ना ही दक्षिणपंथी है। होसबले ने कहा कि मैं आरएसएस से हूं, हमने संघ के प्रशिक्षण शिविरों में कभी नहीं कहा कि हम दक्षिणपंथी हैं। हमारे कई विचार वामपंथी विचारों की तरह हैं और कई निश्चित रूप से इस तथाकथित दक्षिणपंथी हैं। आरएसएस नेता ने जोर देकर कहा कि दोनों पक्षों (वाम और दक्षिणपंथी) के विचारों के लिए जगह है, क्योंकि ये मानवीय अनुभव हैं। होसबले ने आरएसएस के प्रचारक राम माधव की पुस्तक ‘द हिंदू पैराडाइम : इंटीग्रल ह्यूमनिज्म एंड क्वेस्ट फॉर ए नॉन वेस्टर्न वर्ल्‍डव्‍यू’ पर परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए यह बात कही।

'हमें सभी क्षेत्रों और वर्गों के श्रेष्ठ विचारों का लाभ लेना चाहिए'

दत्तात्रेय होसाबले ने आगे कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की भू राजनीतिक परिस्थितियों में जन्मा ‘वामपंथ एवं दक्षिणपंथ’ तथा ‘पूरब और पश्चिम’ का संघर्ष अब धूमिल हो चुका है और आज दुनिया मानवतावादी विचारों को अपना रही है जो हिन्दुत्व का सार तत्व है। होसबाले ने कहा कि संघ में दक्षिण और वामपंथी दोनों विचारों की जगह है, क्योंकि ये मानवीय अनुभव हैं। उन्होंने कहा कि पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों का अवसान हो गया है। लेकिन, पूंजीवाद के कुछ विचार और साम्यवाद के कुछ विचार अभी भी मौजूद हैं और रहेंगे। ये विचार मानव मस्तिष्क से उत्पन्न विचार हैं जो लोगों के अनुभवों पर आधारित हैं। इसलिए हमें सभी क्षेत्रों और वर्गों के श्रेष्ठ विचारों का लाभ लेना चाहिए।

'लेफ्ट और राइट दोनों विचारधाराएं जरूरी हैं'

आरएसएस के सरकार्यवाह होसबले ने कहा, भारतीय परंपरा में कोई पूर्ण विराम नहीं है। भारत की वर्तमान भू-राजनीति के लिए लेफ्ट और राइट दोनों विचारधाराएं जरूरी हैं। उन्होंने कहा, पश्चिम पूरी तरह से पश्चिम नहीं है और पूर्व पूरी तरह से पूर्व नहीं है। इसी तरह से वामपंथी पूरी तरह से वामपंथी नहीं हैं और दक्षिणपंथी पूरी तरह से दक्षिणपंथी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अब तो पश्चिम के लोग भी एक नये विचार और नये दर्शन की तलाश में हैं जो मानवतावाद पर आधारित हैं। उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के बाद पूर्व और पश्चिम के बीच संघर्ष की बात धूमिल हो गई है। होसबले ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद महत्वपूर्ण है। भारतीय जनता पार्टी ने भी एकात्म मानववाद के दर्शन को स्वीकार किया और उससे पहले जनसंघ ने भी इसे माना था।

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