नई दिल्ली। निर्भया के दोषियों की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। चार में से 2 दोषियों यानि विनय और मुकेश ने डेथ वारंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिका दाखिल की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की खंडपीठ ने दया याचिका को खारिज कर दिया है। जिन 2 दोषियों की क्यूरेटिव याचिका खारिज हुई है उनके पास अब सिर्फ राष्ट्रपति की दया याचिका का रास्ता बचा है।
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की तरफ से 7 जनवरी के दिन चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया गया था। 22 जनवरी सुबह 7 बजे चारों दोषियों को फांसी दिए जाना तय किया गया है। यानि चारों दोषियों के पास अब सिर्फ 1 हफ्ते का समय बचा है और उनके पास फांसी की सजा से बचने के लिए बहुत कम कानूनी विकल्प बचे हैं। जिन दो दोषियों की क्यूरेटिव याचिका खारिज हुई है वह सिर्फ राष्ट्रपति से दया याचिका की मांग कर सकते हैं और बाकी दो दोषियों के पास 7 दिन के अंदर क्यूरेटिव याचिका और राष्ट्रपति से दया याचिका का विकल्प खुला है।
जानकार मान रहे हैं कि राष्ट्रपति के पास अगर चारों दोषियों की दया याचिका जाती है तो उसके मंजूर होने की संभावना न के बराबर है, हालांकि इसका अंतिम फैसला राष्ट्रपति को ही लेना है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला राष्ट्रपति के सामने होगा और चारों दोषियों का जघन्य अपराध भी उनके खिलाफ जाता है।
इससे पहले जेल अधिकारियों के एक दल ने रविवार को डमी को फांसी देने का अभ्यास किया। जेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि दोषियों के वजन के मुताबिक ही डमी बनाई गई थी। डमी के बोरे में मलबा और पत्थर भरे थे। उन्होंने बताया कि दोषियों को जेल संख्या तीन में फांसी दी जाएगी। उत्तर प्रदेश जेल प्रशासन ने पुष्टि कर दी है कि चारों दोषियों को फांसी देने के लिए मेरठ से पवन जल्लाद को भेजा जाएगा।
तिहाड़ जेल प्रशासन ने यूपी जेल प्रशासन से दो जल्लाद भेजने का अनुरोध किया है। चारों दोषियों को एक ही वक्त पर फांसी दी जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि जेल के अधिकारी दोषियों से नियमित संवाद कायम रख रहे हैं ताकि उनका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा बना रहे। इस बर्बर कांड के एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य दोषी नाबालिग था और तीन साल तक सुधार गृह में रहने के बाद उसे रिहा कर दिया गया था।