नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि राजनीति का अपराधीकरण सबसे पुरजोर तरीके से 1993 के मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के दौरान महसूस किया गया जो अपराधी गिरोहों, पुलिस, सीमाशुल्क अधिकारियों और उनके राजनीतिक आकाओं के बिखरे हुए नेटवर्क की सांठगांठ का नतीजा थे।
राजनीति के अपराधीकरण की समस्या का अध्ययन करने के लिए गठित एन एन वोहरा समिति की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति ने सीबीआई, आईबी और रॉ समेत सरकारी एजेंसियों की अनेक टिप्पणियों का उल्लेख किया जिन्होंने सर्वसम्मति से राय व्यक्त की थी कि यह आपराधिक नेटवर्क एक तरह से समानांतर सरकार चला रहा है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि समिति ने विभिन्न राजनीतिक दलों और सरकारी पदाधिकारियों की छत्रछात्रा में गतिविधियां संचालित करने वाले अपराधी गिरोहों का भी संज्ञान लिया। शीर्ष अदालत ने आज समिति की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से पहले चुनाव आयोग के समक्ष अपने आपराधिक इतिहास का ब्योरा पेश करना होगा। उच्चतम न्यायालय ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में राजनीति के अपराधीकरण को चिंताजनक बताया।
न्यायालय ने कहा कि वोहरा समिति ने इस बात पर भी गहन चिंता जताई है कि स्थानीय निकायों, राज्य विधानसभाओं और संसद में पिछले कुछ सालों में कई अपराधी चुन कर पहुंचे हैं।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा, ‘‘भारतीय राजनीतिक प्रणाली में राजनीति का अपराधीकरण कभी अनजान चीज नहीं रही, लेकिन इसकी मौजूदगी सबसे पुरजोर तरीके से 1993 के मुंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के समय महसूस की गई जो अपराधी गिरोहों, पुलिस और सीमाशुल्क अधिकारियों तथा उनके राजनीतिक आकाओं के बिखरे हुए नेटवर्क की सांठगांठ का नतीजा थे।’’