पटना: बिहार सरकार राज्य में कानून व्यवस्था में सुधार के लाख दावे कर ले लेकिन हकीकत यह है कि राज्य के अपराधियों के हाथ में अब एके-47 की पहुंच हो गई है। हाल ही में मुंगेर जिले से कई एके-47 की बरामदगी, तस्करों की गिरफ्तारी और उनके बयानों ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि बिहार में अपराधियों के पास अब देसी कट्टे और बंदूकों की जगह एके-47 ने ले ली है।
मुजफ्फरपुर में पूर्व महापौर समीर कुमार सिंह और उनके चालक की रविवार को अज्ञात अपराधियों ने सरेराह हत्या कर दी थी। पुलिस जांच में पता चला कि अपराधियों ने समीर की गाड़ी को घेर कर एके-47 से गोलियों की बौछार कर दी थी, जिसमें दोनों की मौत हो गई। समीर सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि एके-47 की अंधाधुंध गोलीबारी में पूर्व महापौर को 16 गोलियां लगीं, जबकि उनके चालक को 12 गोलियां। मुजफ्फरपुर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरप्रीत कौर भी मानती हैं कि इस घटना में एके-47 का इस्तेमाल किया गया है। ऐसे में यह तय है कि अब आम अपराधियों तक भी एके-47 पहुंच चुकी है।
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा, "मुजफ्फरपुर में पूर्व मेयर को दिन-दहाड़े एके-47 से मार दिया गया। नीतीशजी की नाकामियों से बिहार में एके-47 आम हथियार हो गया है।" तेजस्वी ने एक अन्य ट्वीट में बिहार में एके-47 से हुई तीन हत्या की घटनाओं की भी जिक्र करते हुए लिखा, "समस्तीपुर में बिजनेसमैन की हत्या, पटना में व्यवसायी की हत्या और मोतिहारी में छात्र की हत्या एके-47 से कर दी गई।"
ऐसे में सवाल है कि आखिर मुंगेर और आम अपराधियों तक एके-47 पहुंची कैसे। मुंगेर के पुलिस अधीक्षक बाबू राम कहते हैं कि मध्य प्रदेश के जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से पिछले कुछ सालों में 50 से ज्यादा एके-47 गायब हुई थीं, इनमें अधिकांश हथियार बिहार पहुंचाए गए। इस बात का खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने 29 अगस्त को मुंगेर के जमालपुर से इमरान को गिरफ्तार किया था। मुंगेर एसपी बाबू राम के मुताबिक इमरान से हुई पूछताछ में ये पता चला था कि उसके पास जबलपुर के एक आदमी ने जमालपुर आकर तीन एके 47 उपलब्ध कराए थे। इसके बाद तस्कर श्मसेर को गिरफ्तार किया गया था।
उन्होंने बताया कि इसके बाद 15 दिनों के अंदर मुंगेर के विभिन्न क्षेत्रों से आठ एके-47 बरामद की गई और अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें कुछ महिलाएं भी हैं। मुंगेर क्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक जितेन्द्र मिश्रा कहते हैं, "जबलपुर से एके-47 की एक खेप मुंगेर लाई गई है। मुंगेर पुलिस ने जबलपुर पुलिस के साथ मिलकर एक अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए गिरोह के सरगना पुरुषोत्तम रजक समेत गिरोह के दूसरे अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस ने अब तक निशानदेही के आधार पर छापेमारी कर कुल आठ एके-47 हथियारों को जब्त किया है।"
उन्होंने कहा कि जांच अभी भी चल रही है और इसके तार कई अन्य राज्यों से जुड रहे हैं। इस मामले में अब तक पुलिस झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार के कई जिलों में अपनी जांच का दायरा बढ़ा चुकी हैं। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में कई सफेदपोशों के नाम भी सामने आए हैं। वैसे यह कोई पहला मामला नहीं है कि बिहार में हत्या के लिए एके-47 का प्रयोग किया गया है। दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या और फिर राजधानी से सटे कच्ची दरगाह इलाके में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) नेता बाहुबली बृजनाथी सिंह की हत्या में भी एके-47 से ही की गई थी।
गौरतलब है कि बिहार का मुंगेर क्षेत्र अवैध हथियार बनाने के लिए पूरे देश में चर्चित है।
पुलिस के एक अधिकारी मे नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि 2.5 लाख में देसी एके-47 उपलब्ध हो रही है। कहा जाता है कि एके-47 को चलाना बेहद आसान है। कट्टा और बंदूक को चलाने के लिए जहां प्रशिक्षण की जरूरत होती है, वहीं, एके-47 को हर वह शख्स चला सकता है जो इसे उठा सके। पुलिस के अधिकारी बताते हैं कि एके-47 अपने आप में दहशत का पर्याय है। अपराधी इसे 'स्टेटस सिंबल' के रूप में लेते हैं, जिस अपराधी गिरोह के पास एके-47 होता है उसका रुतबा बढ़ जाता है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि बिहार में एके-47 अब किराये पर भी उपलब्ध होती है।