हैदराबाद: हैदराबाद में बुधवार से शुरू हो रहे माकपा के महाधिवेशन में भाजपा से निपटने के लिए कांग्रेस के साथ समझ विकसित करने को लेकर पार्टी के भीतर इसके समर्थकों एवं विरोधियों के बीव गहमागहमी हो सकती है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने यह जानकारी दी। पांच दिन तक चलने वाली बैठक में करीब 765 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे और इसमें प्रमुख वाम दल के राजनीतिक रूख का निर्धारण होगा। हाल के वर्षों में माकपा को एक के बाद एक चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है और हाल में वह अपना गढ़ त्रिपुरा भी भाजपा के हाथों गंवा बैठी। इस समय देश में केवल एक राज्य (केरल) में उसकी सरकार है।
आम चुनाव में बस एक साल का समय बाकी होने के साथ पार्टी कांग्रेस का महत्व बढ़ जाता है क्योंकि इसमें लिए गए फैसले 2014 के चुनाव प्रदर्शन से उबरते हुए बेहतर प्रदर्शन की खातिर उसकी रणनीति को रेखांकित करते हुए पार्टी के राजनीतिक रूख तय होगा। पिछले आम चुनाव में पार्टी ने लोकसभा की केवल नौ सीटें जीती थीं। पार्टी के एक नेता ने पहचान सार्वजनिक न करने के अनुरोध के साथ कहा, ‘‘पार्टी कांग्रेस में, जो कि हमारी पार्टी की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है, हम बहस करेंगे और पार्टी का राजनीतिक रूख तय करेंगे।’’ उन्होंने बताया कि बहस कांग्रेस के साथ तालमेल की प्रवृत्ति और आम चुनाव से पहले वह किस तरह आकार लेगी, इस पर केंद्रित होगा। पार्टी कांग्रेस में मंजूर किया जाने वाला राजनीतिक प्रस्ताव बेहद महत्वपूर्ण होगा।