नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न राज्यों द्वारा कोरोना वायरस रोधी टीकों की खरीद के लिए वैश्विक निविदाएं जारी करने के बीच सोमवार को केंद्र से पूछा कि उसकी टीका-प्राप्त करने की नीति क्या है। इसके साथ ही उसने टीकाकरण से पहले कोविन ऐप पर अनिवार्य रूप से पंजीयन करवाने की जरूरत पर भी सवाल उठाए और कहा कि नीति निर्माताओं को जमीनी हकीकत से वाकिफ होना चाहिए तथा ‘डिजिटल इंडिया’ की वास्तविक स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की तीन सदस्यीय विशेष पीठ कोरोना वायरस के मरीजों को आवश्यक दवाओं, टीकों तथा चिकित्सीय ऑक्सीजन की आपूर्ति से जुड़े मामले का स्वत: संज्ञान ले कर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि केंद्र ने टीकाकरण के लिए कोविन ऐप पर पंजीयन अनिवार्य किया है तो ऐसे में वह देश में जो डिजिटल विभाजन का मुद्दा है उसका समाधान कैसे निकालेगी।
पीठ ने पूछा, ‘‘आप लगातार यही कह रहे हैं कि हालात पल-पल बदल रहे हैं लेकिन नीति निर्माताओं को जमीनी हालात से अवगत रहना चाहिए। आप बार-बार डिजिटल इंडिया का नाम लेते हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में दरअसल हालात अलग हैं। झारखंड का एक निरक्षर श्रमिक राजस्थान में किसी तरह पंजीयन करवाएगा? बताईए कि इस डिजिटल विभाजन को आप किस तरह दूर करेंगे?’’
न्यायालय ने कहा, ‘‘आपको देखना चाहिए कि देशभर में क्या हो रहा है। जमीनी हालात आपको पता होने चाहिए और उसी के मुताबिक नीति में बदलाव किए जाने चाहिए। यदि हमें यह करना ही था तो 15-20 दिन पहले करना चाहिए था।’’
सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि पंजीयन अनिवार्य इसलिए किया गया है क्योंकि दूसरी खुराक देने के लिए व्यक्ति का पता लगाना आवश्यक है। जहां तक ग्रामीण इलाकों की बात है तो वहां पर सामुदायिक केंद्र हैं जहां पर टीकाकरण के लिए व्यक्ति पंजीयन करवा सकते हैं। पीठ ने मेहता से पूछा कि क्या सरकार को ऐसा लगता है कि यह प्रक्रिया व्यवहार्य है। पीठ ने उसने नीति संबंधी दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया।
पीठ ने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, ‘‘कोविड रोधी विदेशी टीकों की खरीद के लिए कई राज्य वैश्विक निविदाएं निकाल रहे हैं, क्या यह केंद्र सरकार की नीति है?’’
इसमें पीठ ने पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों तथा मुंबई की महानगर पालिका का जिक्र किया। इस दौरान केंद्र ने न्यायालय को बताया कि टीकों के लिहाज से पात्र संपूर्ण आबादी का 2021 के अंत तक टीकाकरण किया जाएगा। मेहता ने पीठ को सूचित किया कि फाइजर जैसी कंपनियों से केंद्र की बात चल रही है। अगर यह सफल रहती है तो साल के अंत तक टीकाकरण पूरा करने की समय-सीमा भी बदल जाएगी।
पीठ ने कहा, ‘‘क्या यह केंद्र सरकार की नीति है कि राज्य या नगर निकाय टीकों की खरीद कर सकते हैं या फिर केंद्र सरकार नोडल एजेंसी की तरह उनके लिए खरीद करने वाली है? हम इस पर स्पष्टीकरण चाहते हैं और नीति के पीछे क्या तर्क है यह जानना चाहते हैं।’’