नई दिल्ली: अक्टूबर तक भारत में कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका है। बेशक, इसके लिए बेहतर तैयारी है। लेकिन, महामारी कम से कम एक और वर्ष के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बनी रहेगी। वहीं, अध्ययन बताते हैं कि टीकाकरण के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम 75-80 प्रतिशत कम हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों को ऑक्सीजन सपोर्ट की संभावना लगभग 8 फीसदी है और टीकाकरण वाले व्यक्तियों में आईसीयू में प्रवेश का जोखिम केवल 6 फीसदी है।
नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ वीके पॉल ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में सेरोपोसिटिविटी दर 56 फीसद और 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में 63 फीसद है। जानकारी से पता चलता है कि बच्चे संक्रमित थे लेकिन यह बहुत हल्का था। बच्चों में संक्रमण के केवल अलग-अलग मामले हो सकते हैं।
अब तक भारत ने वैक्सीन के लिए एलिजिबल करीब 95 करोड़ आबादी में से केवल 5 फीसदी को ही पूरी तरह से टीका लगाया है। वहीं, कई लाख लोगों पर अब भी संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। ज्यादातर हेल्थ एक्सपर्ट्स ने जहां भविष्यवाणी की थी कि इस साल टीकाकरण अभियान में काफी तेजी आएगी।
इस बीच भारत में कोरोना का कहर अब कम हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि 3 मई से रिकवरी रेट में तेजी देखी जा रही है, जो अब 96% है। उन्होंने कहा कि हम एक्टिव केसों में भी गिरावट देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 11 जून से 17 जून के बीच 513 जिलों में कुल पॉजिटिव केस 5% से भी कम थे। देश में कोरोना की वर्तमान स्थिति को लेकर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में लव अग्रवाल ने कहा, पिछले 24 घंटे में देश में 62,480 नए मामले सामने आए हैं। पिछले 11 दिनों से एक लाख से कम मामले रिपोर्ट हो रहे हैं। कोरोना मामलों के पीक में 85% की कमी देखी गई है।
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