नयी दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 महामारी ने जानवरों या कीट पतंगों से इंसानों में फैलने वाले रोगों के प्रति सतर्कता और जागरूकता पैदा करने की जरूरत रेखांकित की है। उन्होंने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के 112वें वार्षिक दिवस पर रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के लिए ‘जीनोम सीक्वन्सिंग नेशनल रेफरेंस लेबोरेटरी’ और बीएसएल-3 प्रयोगशाला का डिजिटल तरीके से उद्घाटन करते हुए यह टिप्पणी की।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, एनसीडीसी के योगदान के लिए उसकी सराहना करते हुए मंडाविया ने कहा कि महामारी से मुकाबले में भारत ने कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि एनसीडीसी की 112 वर्षों की उपलब्धियों की विरासत में आज नए आयाम जोड़े गए हैं तथा इसे और नवाचारों के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया गया ताकि न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया इसके काम से लाभान्वित हो सके।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एनसीडीसी के वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, अधिकारियों और कर्मचारियों को सामूहिक रूप से उन लक्ष्यों की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए जिन्हें वे आने वाले वर्षों में हासिल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी ने जानवरों या कीट पतंगों से इंसानों में फैलने वाले रोगों के प्रति सतर्कता और जागरूकता पैदा करने की जरूरत रेखांकित की है।’’
मंडाविया ने कहा कि ‘‘जानवरों से फैलने वाले रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम’’ के तहत एनसीडीसी में ‘जूनोटिक डिजीज प्रोग्राम’ विभाग ने भारत में रेबीज, स्क्रब टाइफस, ब्रुसेलोसिस, एंथ्रेक्स, सीसीएचएफ, निपाह और क्यासानूर फॉरेस्ट रोग पर महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा की है।
बयान के मुताबिक, स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा कि एनसीडीसी अपनी प्रयोगशालाओं, और महामारी विज्ञान, लोक स्वास्थ्य क्षमता निर्माण, कीट विज्ञान जैसे क्षेत्र में महत्वपूर्ण जानकारी के माध्यम से लोगों को सेवाएं प्रदान करता है। पवार ने कहा, ‘‘एनसीडीसी रोग निगरानी, स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी, लोगों को जागरुक करने, लोक स्वास्थ्य व्यवस्था को कदम उठाने के लिए साक्ष्य प्रदान करने तथा लोक स्वास्थ्य नियमों को लागू करने के लिए अधिक अधिकार और संसाधनों के साथ एक केंद्र बिंदु के रूप में कार्य कर सकता है।’’