मुंबई. देश में कोरोना की दूसरी लहर अब पहले के मुकाबले काफी ज्यादा धीमी है। कई राज्यों ने कोरोना को मात देने के लिए टेस्टिंग की रफ्तार बढ़ाई थी। टेस्टिंग की रफ्तार बढ़ाने के लिए रेपिड एंटीजन टेस्टों (Raped Antigen Tests) की संख्या बढ़ाई गई है। हालांकि अब एक एक स्टडी ने दावा किया है कि 34 फीसदी (33.7%) रेपिड एंटीजन टेस्टों की निगेटिव रिपोर्ट RT-PCR टेस्टिंग करवाने पर गलत पाई गई। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी इस खबर के मुताबिक, ये अध्ययन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि महाराष्ट्र में प्रतिदिन 60 फीसदी से ज्यादा कोविड-19 टेस्टिंग रेपिड टेस्टों के जरिए ही की गई क्योंकि ये रिजल्ट काफी कम समय में देते हैं।
अंग्रेजी अखबार की खबर में कहा गया है कि अध्ययन 7 जुलाई से 7 अगस्त 2020 के बीच परेल स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ (ICMR-NIRRH) में किए गए परीक्षणों के फील्ड डेटा पर आधारित था। संस्थान ने 412 एंटीजन नेगेटिव रिपोर्ट के अपने डेटाबेस का अध्ययन किया, जिसे आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन) के साथ दोबारा टेस्ट किया गया, जो कोरोनावायरस का पता लगाने के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड टेस्ट है। जिसके बाद यह पाया गया कि RT-PCR टेस्टिंग में 139 मामले पॉजिटिव पाए गए, जो कि रेपिड एंटीजन टेस्टिंग में निगेटिव पाए गए थे।
इन 139 पॉजिटिव मामलों में से 91 (65%) में कोविड के लक्षण (symptomatic) पाए गए थे जबकि 48 में कोरोना को कोई भी लक्षण (asymptomatic) नहीं था। Asymptomatic Cases में वे लोग शामिल थे जिनका कोविड परीक्षण किया गया था क्योंकि वे पुष्टि किए गए मामलों के उच्च जोखिम वाले संपर्क थे। जैसे पुलिस हिरासत में लोग, गर्भवती महिलाएं, नवजात शिशु और वे मरीज जिनकी सर्जरी होनी थी। उच्च जोखिम वाले संपर्कों में सबसे अधिक 45% positivity पाई गई, इसके बाद पुलिस हिरासत में 12.2%, गर्भवती महिलाओं में 22.2% और प्री-ऑपरेटिव या अन्य चिकित्सा स्थितियों के लिए अस्पताल में भर्ती व्यक्तियों में 33.3% positivity पाई गई।