Highlights
- केरल में कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 36,087 हो गयी है।
- प्रदेश में उपचाराधीन मामलों की संख्या कम होकर 63,338 पर आ गयी है।
- राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 50,71,135 पर पहुंच गयी है।
तिरूवनंतपुरम: केरल में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण 210 लोगों की मौत हो गयी, जिसके बाद मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर 36,087 हो गयी है। एक सरकारी बयान में इसकी जानकारी दी गयी है। बयान में कहा गया है कि राज्य में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 5516 नये मामले सामने आये जिसके बाद प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 50,71,135 पर पहुंच गयी है। इसमें कहा गया है कि प्रदेश में सोमवार से अब तक 6,705 लोग ठीक हुये हैं, इसके बाद राज्य में संक्रमण मुक्त होने वाले लोगों की संख्या 49,71,080 हो गयी हैं। प्रदेश में उपचाराधीन मामलों की संख्या कम होकर 63,338 पर आ गयी है।
इस बीच केरल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि अगर सरकार द्वारा लगाए जा रहे वैक्सीन से किसी की आजीविका चली जाए तो उसकी शिकायत सुनना क्या सरकार का दायित्व नहीं है? अदालत ने इस मामले को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करने के दौरान सरकार से इस बारे में जानकारी मांगी। याचिका में अनुरोध किया गया है कि व्यक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त एक वैक्सीन की तीसरी खुराक लेने की अनुमति दी जाए ताकि वह सऊदी अरब वापस जा सके जहां वह कोविड-19 महामारी फैलने से पहले वेल्डर के तौर पर काम करता था।
सऊदी अरब में कोवैक्सिन टीके की दो खुराक को मंजूरी या मान्यता नहीं मिली है अतः याचिकाकर्ता को वहां जाने की अनुमति नहीं मिल सकती इसलिए याचिकाकर्ता ने वैक्सीन की तीसरी खुराक के लिए अदालत का रुख किया है। न्यायमूर्ति पी. वी. कुन्हीकृष्णन ने मंगलवार को कहा कि अदालत केंद्र सरकार पर दोषारोपण नहीं कर रही लेकिन जब किसी नागरिक को दिए गए वैक्सीन की वजह से उसकी आवाजाही पर पाबंदी लग जाए या उसका रोजगार छिन जाये तो क्या उसकी शिकायत सुनना सरकार का कर्तव्य नहीं है।
अदालत ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सहायक सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनु एस. को निर्देश दिया कि वह इसकी जानकारी प्राप्त करें कि सऊदी अरब में कोवैक्सिन को मंजूरी क्यों नहीं मिली है जबकि इस वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आपातकालीन प्रयोग के लिए मंजूरी दी है। एएसजी ने कहा कि महामारी के दौरान लोगों की जान बचाना प्राथमिकता थी इसलिए केंद्र सरकार उस समय वैक्सीन की अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता के लिए इंतजार नहीं कर सकती थी।
उन्होंने यह भी कहा कि किसी अन्य देश पर किसी चीज के लिए दबाव बनाने के मामले में सरकार की अपनी सीमायें हैं। हालांकि, अदालत ने कहा कि सरकार द्वारा वैक्सीन लगाए जाने के कारण किसी नागरिक का रोजगार चला जाना या यात्रा पर प्रतिबंध होना उसकी मौलिक अधिकारों का हनन है। हाईकोर्ट ने एएसजी को निर्देश दिया कि वह सऊदी अरब के बारे में जानकारी हासिल करके उसे इससे अवगत करायें। इसके साथ ही अदालत ने मामले को 29 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।