नयी दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) इस बारे में अध्ययन करेगा कि तपेदिक के खिलाफ उपयोग किया जाने वाला बीसीजी टीका क्या कोरोना वायरस संक्रमण होने को रोक सकता है। साथ ही, क्या यह महामारी के हॉटस्पॉट इलाकों में रह रहे बुजुर्ग लोगों में इस रोग की गंभीरता तथा मृत्यु दर को घटा सकता है। आईसीएमआर के एक वैज्ञानिक ने कहा कि यह अध्यन तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में 60 से अधिक उम्र के करीब 1,500 स्वयंसेवकों पर किया जाएगा।
आईसीएमआर के चेन्नई स्थित राष्ट्रीय यक्ष्मा अनुसंधान संस्थान (एनआईआरटी) द्वारा तमिलनाडु सरकार को 15 जुलाई को परीक्षण की मंजूरी दी जा चुकी है। इसके तहत बीसीजी टीके की बुजुर्गों पर कारगरता का अध्ययन किया जाएगा। बीसीजी-कोविड परीक्षण, आईसीएमआर के तहत पांच अन्य केंद्रों में भी होगा। इनमें दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के अलावा अहमदाबाद, भोपाल, मुंबई, जोधपुर के संस्थान शामिल हैं।
वैज्ञानिक ने बताया, ‘‘कई केंद्रों में किये जाने वाले इस अध्ययन के तहत कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुए बुजुर्गों कको बीसीजी का टीका लगाया जाएगा। बीसीजी का यही टीका राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत देश में 50 साल से अधिक समय से नवजात बच्चों को लगाया जाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अध्ययन का उद्देश्य यह देखना है कि क्या यह टीका कोराना वायरस संक्रमण होने को रोक सकता है और अत्यधिक संक्रमण के मामले वाले स्थानों (हॉटस्पॉट) में बुजुर्ग व्यक्तियों में इस रोग की गंभीरता तथा मृत्यु दर को कम कर सकता है।’’ अध्ययन में शामिल होने वाले स्वयंसेवकों की करीब छह महीने तक करीबी निगरानी की जाएगी।